CG Custom Milling Scam: कस्टम मिलिंग घोटाला,सेवानिवृत्त आईएएस अनिल टुटेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर गिरफ्तार, पुलिस रिमांड पर भेजे गए…

डेस्क : बहुचर्चित कस्टम मिलिंग घोटाले में आज बड़ा मोड़ आया। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (EOW) ने सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा (Anil Tuteja) और रायपुर के नामी व्यवसायी अनवर ढेबर (Anwar Dhebar) को रायपुर की विशेष अदालत में पेश कर विधिवत गिरफ्तार किया।
दोनों आरोपियों को पहले से ही शराब घोटाले (Liquor Scam) के मामले में जेल में रखा गया था। कस्टम मिलिंग प्रकरण में अलग से जांच के बाद ईओडब्ल्यू ने इनकी भूमिका तय करते हुए कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट पर पेश कराया।
भ्रष्टाचार और जबरन वसूली के गंभीर आरोप
EOW ने अनिल टुटेजा और अनवर ढेबर पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) 1988 की धारा 11, 13(1)(क), 13(2) और भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 120बी (आपराधिक साजिश), 384 (जबरन वसूली) और 409 (लोकसेवक द्वारा आपराधिक विश्वासभंग) के तहत केस दर्ज किया है।
जांच एजेंसी के मुताबिक दोनों ने मिलकर चावल मिलर्स (Rice Millers) से करोड़ों रुपये की अवैध वसूली का जाल बिछाया और मोटी रकम वसूल की।
पुलिस रिमांड पर दोनों आरोपी, कई कड़ियों की होगी जांच
कोर्ट में पेशी के बाद दोनों आरोपियों को पुलिस रिमांड (Police Remand) पर भेजा गया है। अब ईओडब्ल्यू रिमांड के दौरान पूरे घोटाले में शामिल बाकी कड़ियों को जोड़ने में जुट गई है।
सूत्रों के अनुसार रिमांड के दौरान यह पता लगाया जाएगा कि किस-किस माध्यम से अवैध वसूली की गई और इसमें किन-किन अधिकारियों, मिलर्स और अन्य प्रभावशाली लोगों की भूमिका रही।
ऐसे रचा गया करोड़ों का घोटाला
कस्टम मिलिंग घोटाले की कहानी वर्ष 2021-22 से जुड़ी है, जब केंद्र सरकार से राज्य को 62 लाख मीट्रिक टन धान की कस्टम मिलिंग (Custom Milling) की मंजूरी मिली थी। इसके बाद कुछ अफसरों और रसूखदारों ने मिलर्स से दो किस्तों में भारी रकम वसूलने का खेल शुरू किया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक इसमें राइस मिल एसोसिएशन (Rice Mill Association) के अध्यक्ष कैलाश रुंगटा (Kailash Rungta), कोषाध्यक्ष रोशन चंद्राकर (Roshan Chandrakar), रामगोपाल अग्रवाल (Ramgopal Agrawal) और सिद्धार्थ सिंघानिया (Siddharth Singhania) जैसे नाम भी जुड़े हुए हैं।
जांच के मुताबिक रोशन चंद्राकर ने अलग-अलग जिलों से रकम वसूली, जिसे सिद्धार्थ सिंघानिया के माध्यम से अनवर ढेबर और फिर अनिल टुटेजा तक पहुंचाया गया।