छत्तीसगढ़

CG – पैरों से लिखी मेहनत की इबारत! बिना हाथों के किया NET क्वालिफाई, पढ़िए संघर्ष से सफलता की कहानी…..

रायपुर। वो कहते है ना अगर खुद पर दृढ़ विश्वास हो तो हर मंजिल पा सकते हैं। ऐसा ही कुछ छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के बीरगांव इलाके में रहने वाली 27 वर्षीय दामिनी सेन ने कर दिखाया। जी हां जन्म से ही दोनों हाथों से दिव्यांग होने के बावजूद दामिनी ने अपनी पढ़ाई पूरी की, ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन किया और अब National Eligibility Test (NET) भी पास कर लिया है। उनका अगला लक्ष्य है – UPSC परीक्षा में सफलता पाना और देश की सेवा करना।

पैरों से लिखी सफलता की कहानी

दामिनी ने बताया कि जब सबने उन्हें दिव्यांग कहा, तब उनकी मां माधुरी सेन ने उन्हें आत्मनिर्भर बनना सिखाया। मां ने ही उन्हें पैरों से लिखना, खाना बनाना, किताबें पलटना और जीवन के हर काम को खुद करना सिखाया। दामिनी कहती हैं कि “जो मेरे पास नहीं, उसका गम नहीं; जो है, उसी को अपनी ताकत बना लिया है।”

बचपन में मिले ताने

दामिनी बताती हैं कि जब वह पहली बार स्कूल गईं, तब उनके साथ के बच्चे उनसे बात नहीं करते थे। पैरों से किताब निकालने और लिखने को लेकर उनका मज़ाक उड़ाते थे। कई बार पत्थर भी फेंके गए। लेकिन दामिनी रुकी नहीं, उन्होंने अपने पैरों से ही भगवान की पूजा करना शुरू किया। आज वही पैर उनकी सबसे बड़ी ताकत हैं।

अब UPSC का सपना

दामिनी ने ना सिर्फ अपनी पढ़ाई में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, बल्कि UGC NET exam qualified कर यह साबित कर दिया कि इच्छाशक्ति और मेहनत के सामने कोई भी बाधा टिक नहीं सकती। अब उनका अगला लक्ष्य Union Public Service Commission (UPSC) की परीक्षा पास कर अधिकारी बनना है।

पेंटिंग में बनाया वर्ल्ड रिकॉर्ड

पढ़ाई के साथ-साथ दामिनी को चित्रकारी और संगीत का भी शौक है। उन्होंने अपने पैरों से स्केच पेन पकड़कर एक घंटे में 38 पेंटिंग बनाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इस अद्वितीय उपलब्धि के लिए उन्हें 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा “अमेजिंग इंडिया फॉर यंग इंडियंस” अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। खुद पीएम मोदी ने दामिनी से कहा था, “तुम्हारी हैंडराइटिंग मेरी राइटिंग से बेहतर है।”

घरवालों ने नहीं मानी समाज की बात, बनाया बेटी को ‘दामिनी’

दामिनी के पिता प्रेमदास सेन, जो एक चपरासी हैं, और मां माधुरी सेन ने उस वक्त हिम्मत नहीं हारी जब समाज ने बच्ची को अशुभ कहा। घर की कमजोर आर्थिक स्थिति के बावजूद उन्होंने बेटी की पढ़ाई और हौसले में कोई कमी नहीं आने दी। आज उसी बेटी ने 10वीं में 80%, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद NET क्लियर कर यह साबित कर दिया कि अगर परिवार साथ दे तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता।

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