जीवात्मा जब परम पिता के पास पहुंच जाएगी तब जन्म-मरण से छुटकारा मिलेगा और तभी शांति मिलेगी…

जीवात्मा जब परम पिता के पास पहुंच जाएगी तब जन्म-मरण से छुटकारा मिलेगा और तभी शांति मिलेगी
समरथ गुरु जैसा बताए वैसा करने से, जब तक यहां रहोगे सुखी रहोगे और जब शरीर छूटेगा तब सुख की जगह पहुंच जाओगे
रेवाड़ी, हरियाणा। बाबा उमाकान्त महाराज ने 17 जुलाई 2025 के सतसंग में कहा कि ध्यान और भजन ही जीवन का असली काम है, बाकी जितनी भी चीजें हैं; चाहे धन-दौलत हो या मान-प्रतिष्ठा हो, आखिरी वक्त पर काम आने वाली नहीं हैं। जवान लड़का, रिश्तेदार, अच्छे-अच्छे पोस्ट के अधिकारी, डॉक्टर, सब खड़े रह जाते हैं जिस वक्त पर प्राण पीड़ा होती है। जब जीवात्मा का खिंचाव होता है, तब बदन में दर्द होता है, हड्डी-हड्डी चटकती है। जब यह तत्व जिससे यह शरीर बनाया गया; जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश, खत्म होते हैं तब बहुत दर्द होता है। कहा गया है,
“सहजो मौत के समय पीड़ा उठे अपार,
बिच्छू साठ हजार ज्यों डंक मारें एक साथ”
जैसे 60000 बिच्छू एक साथ बदन में डंक मारें इतना दर्द होता है। आखिरी वक्त पर यह नसें, जो हड्डियों से चिपकी हुई हैं, जब ये सिकुड़ती हैं, अपनी जगह छोड़ती हैं तब भीषण दर्द होता है और खून पानी हो जाता है। लेकिन इसका कोई इलाज नहीं है।
जब कर्म इकट्ठा होता चला जाता है तब इस शरीर से आखिरी वक्त पर भी भोगना पड़ता है
आखिरी वक्त पर किसी के प्राण जल्दी छूट जाते हैं और किसी के प्राणों के निकलने में समय लगता है। यह सब कर्मों का चक्कर होता है। कर्म, अच्छे और बुरे होते हैं; जैसे आंखों से अच्छे भाव से देखोगे तो अच्छे कर्म जबकि बुरे से देखोगे तो बुरे कर्म, हाथ से अच्छा करोगे तो अच्छे कर्म और बुरा करोगे तो बुरे कर्म, पैर से अच्छे काम के लिए जाओगे तो अच्छा और बुरे के लिए जाओगे तो बुरा फल मिलेगा। जो भी अच्छा और बुरा है, वह सब इस शरीर से ही होता है, फिर वह सब इकट्ठा होता चला जाता है और इस शरीर से आखिरी वक्त पर भी भोगना पड़ता है। कर्मों के अनुसार पशु, पक्षी की योनियों में जाना पड़ता है और कर्मों के अनुसार ही मनुष्य शरीर मिलता है। जिस तरह मरते वक्त तकलीफ होती है उसी तरह से जन्मते वक्त भी होती है। लेकिन यह रहस्य सबको नहीं मालूम होता है। जो त्रिकालदर्शी होते हैं उन्हीं को मालूम होता है, वह जो हो रहा है, जो पीछे हो गया और जो आगे होने वाला है सबको देखते हैं। तो समरथ गुरु को इस चीज की जानकारी होती है।
“यह रहस्य गुरुदेव कर, बेख ना जाने कोय।
जो जाने सतगुरु कृपा, जन्म-मरण नहीं होय।।”
अगर यह चीज समझ में आ जाए तो जन्म-मरण से छुटकारा पा जाओगे, तो जाओगे कहां? क्योंकि शरीर तो यहीं छूट जाएगा, ऊपरी लोकों में तो जा नहीं सकता है। तो शरीर को जो चलाने वाली शक्ति है, यह जाती है। यही शरीर छूटने के बाद कर्मों के अनुसार दुख भोगती है, लेकिन जब यह परम पिता के पास पहुंच जाएगी तब जन्म-मरण से छुटकारा मिलेगा, तभी शांति मिलेगी। नहीं तो इस दुख के संसार में दुख झेलते रह जाओगे। नानक साहब ने कहा
“नानक दुखिया सब संसार।
सुखी वही जो नाम आधार।।”
जो नाम गुरु महाराज ने हमको, आपको दिया और उनके जाने के बाद आपको बताया गया, उस नाम के सुमिरन से और जैसा गुरु बताए वैसा करने से जब तक यहां रहोगे सुखी रहोगे और जब शरीर छूटेगा तब सुख की जगह पहुंच जाओगे।