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जीवात्मा को उसकी खुराक ना मिलने के कारण, जीवात्मा के साथ लगा मन उसे कमजोर कर रहा है – बाबा उमाकान्त महाराज

जीवात्मा को उसकी खुराक ना मिलने के कारण, जीवात्मा के साथ लगा मन उसे कमजोर कर रहा है – बाबा उमाकान्त महाराज

आत्मा को सुमिरन-ध्यान-भजन की खुराक मिलने पर यह फिर से बलवान होती चली जाएगी

सूरत। बाबा उमाकान्त महाराज ने 28 जुलाई 2025 के सतसंग में कहा कि जीवन का अब कोई भरोसा नहीं है, क्योंकि पहले के समय में लोग संयम और नियम से रहते थे, उनका खान-पान, चरित्र ठीक था तो वे ज्यादा दिनों तक जिंदा रहते थे। अपने-अपने तौर तरीके से ही सही, लेकिन भगवान को लोग याद करते रहते थे। कुछ ना कुछ पाठ-पूजा करते रहते थे, लेकिन आजकल आदमी पेट पूजा में ही लगा हुआ है। पेट पूजा किसको कहते हैं? मन को खुश रखो, पेट भरा हुआ रहे, अच्छी-अच्छी चीजें खाने को मिलती रहें; तो इनकी सेवा में लगा हुआ है, बाल-बच्चों की सेवा में लगा हुआ है, लेकिन जो सेवा आत्मा की करनी चाहिए उससे बहुत दूर हटता जा रहा है।

अब आत्मा की सेवा किसको कहते हैं? जैसे 24 घंटे की साधना शिविर में जो लोग बैठे वो उनकी आत्मा की सेवा हुई। उससे आत्मा को खुराक मिली।

जीवात्मा को कोई खुराक ना मिलने के कारण यह कमजोर होती चली जा रही है

आप कुछ अच्छा खाते हो तो वह किसको अच्छा लगता है? मन को लगता है। जैसे मन कहता है ठंडी के महीने में, बरसात के महीने में पकोड़े खाए जाएं। उसका स्वाद मन लेता है और उससे पेट भरता है, शरीर स्वस्थ होता है। लेकिन जीवात्मा तो वहीं की वहीं रही, बल्कि और भी कमजोर होती जाती है तथा मन और भी हावी (मोटा) होता जाता है। मन जो जीवात्मा के साथ लगा हुआ है, वह जीवात्मा को कमजोर कर रहा है, क्योंकि जीवात्मा को कोई खुराक, कुछ खाने को मिलता नहीं है।

सुमिरन-ध्यान-भजन आत्मा की ऐसी खुराक है जो बेकार नहीं जाती है

सुमिरन-ध्यान-भजन आत्मा की ऐसी खुराक है जो बेकार कुछ भी नहीं जाती है, इसकी पूरी की पूरी ताकत आत्मा को ही मिलती है। जैसे आप कुछ खाते हो, तो जितना भी खाते हो उसमें से कुछ हिस्सा निकल जाता है। कहां से निकलता है? जैसे ज्यादा पानी पी लिया तो ज्यादा पेशाब लगता है, ज्यादा खा लिया तो बार-बार शौच के लिए जाना पड़ता है, तो इसी तरह से वह निकल जाता है, मतलब कुछ हिस्सा बेकार चला जाता है। लेकिन आत्मा को जो खुराक हम देते हैं उसमें बेकार कुछ नहीं जाता है बल्कि आत्मा और बलवान होती चली जाती है।

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