CG ब्रेकिंग : पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से झटका, याचिका हुई खारिज, जारी रहेगी ED की जांच…..

रायपुर। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने ED की जांच पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। इस आदेश के बाद भूपेश बघेल की मुश्किलें और भी बढ़ गयी है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता भूपेश बघेल की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की आगे की जांच की शक्तियों को चुनौती दी थी।
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) की धारा 44 को ‘रीड डाउन’ करने की मांग की थी, ताकि ED को पहली शिकायत दर्ज होने के बाद विशेष परिस्थितियों में और कोर्ट की अनुमति के साथ ही आगे की जांच का अधिकार हो। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद भूपेश बघेल के पक्ष को खारिज कर दिया।
बघेल ने मांग की थी कि PMLA की धारा 44 को ‘रीड डाउन’ किया जाए और पहली शिकायत दर्ज होने के बाद ED सिर्फ विशेष परिस्थितियों में, अदालत की अनुमति और जरूरी सुरक्षा उपायों के साथ ही आगे जांच कर सके। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की बेंच ने कहा कि इस प्रावधान में कोई खामी नहीं है।
जस्टिस बागची ने साफ कहा – गलती कानून में नहीं, बल्कि उसके गलत इस्तेमाल में है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जांच अपराध के संबंध में होती है, न कि केवल आरोपी के खिलाफ। सच्चाई तक पहुंचना ही जांच का उद्देश्य है और इस प्रक्रिया में कोई बाधा नहीं डाली जा सकती।
सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल (Kapil Sibal) ने कहा कि ED बार-बार पूरक शिकायत दर्ज करती है, जिससे ट्रायल में देरी होती है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि आगे की जांच कई बार आरोपी के हित में भी हो सकती है, बशर्ते इसका दुरुपयोग न हो।
जस्टिस बागची ने यह भी कहा कि आगे की जांच के लिए ED को विशेष PMLA कोर्ट से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए। अगर एजेंसी ऐसा नहीं कर रही है, तो समस्या कानून में नहीं, बल्कि उसके पालन में है। सुप्रीम कोर्ट ने बघेल की याचिका खारिज करते हुए उन्हें हाईकोर्ट जाने की छूट दी। कोर्ट ने याद दिलाया कि विजय मदनलाल चौधरी (Vijay Madanlal Choudhary) केस में पहले ही कहा गया है कि कोर्ट की अनुमति से आगे के सबूत लाए जा सकते हैं। अगर ED ने इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया है, तो आरोपी सीधे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।