छत्तीसगढ़

CG – BMW और मर्सिडीज वाले शिक्षकों के इस्तीफे की लगी झड़ी, 2 और शिक्षकों ने ज्ञान सिंह स्टाइल दिया त्यागपत्र, देखिए क्या लिखा….

रायपुर। शिक्षा यूं तो सेवा का जरिया है, लेकिन कई शिक्षकों का लगता है कि वे इस सेवा से उब रहे है। खबर है कि छत्तीसगढ़ में दो शिक्षकों ने अफसरों को नौकरी से इस्तीफा सौंप दिया है। दोनों शिक्षकों की इस्तीफे की भाषा हेड मास्टर ज्ञान सिंह की तरह है। दोनों ने स्कूल को चिड़ियाघर बताया है और लिखा है कि लंबी नौकरी में उनके परिवार का जीवन स्तर नहीं उठ सका…अब वे नौकर की बजाए मालिक माइंड सेट से जीना चाहते हैं।

शिक्षकों के इस्तीफे की भाषा से लगता है कि एक खास रैकेट द्वारा नौकरी छोड़ने बरगलाया जा रहा है। यह काम उनके गुरू शशि बैरागी कर रहा है, जो 2021 में नौकरी छोड़ा और तीन साल में केटा कार से लेकर बीएमडब्लू और मर्सिडीज कार खरीदने का फेसबुक पेज पर हर्बल लाइफ में बेशुमार कमाई की ब्रांडिंग कर रहा है।

रघुराम पैकरा ने लिखा चिड़ियाघर से चाहिये आजादी

पिछले दिनों लोरमी के शिक्षक ज्ञान सिंह ने इस्तीफा दिया था। वो विधायक रहते तोखन साहू के पीए भी थे। पिछले दिनों उन्होंने अपना इस्तीफा दिया था। अब बरमकेला के व्याख्याता रघुराम पैकरा ने भी नौकरी छोड़ दी है। रघुराम पैकरा ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि वो शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बैंगनडीह बरमकेला में पदस्थ हैं। पिछले 13 साल में अपनी आर्थिक स्थिति को अपनी नौकरी की आय से सुधार नहीं पाया हूं, जिसके कारण भविष्य में आर्थिक तंगी को देखते हुए अपनी स्वेच्छा से 7 जनवरी 2025 को पद से त्यागपत्र देता हूं। आने वाले भविष्य के लिए अच्छा सेहत के साथ टाईम फ्री लाईफ, मनी फ्रीडम, बॉस फ्री लाईफ को इन्जॉय करते हुए समय सीमा की बंधन और चिड़िया घर से आजाद होकर भविष्य को अच्छे से जीना चाहता हूं।

सुनील कुमार ने मांगी नौकरी माइंडसेट से आजादी

वहीं मरवाही के शिकायत सुनील कुमार ने भी अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह लिखा है कि वो अब आगे नौैकरी नहीं करना चाहते हैं। नौकर माइंडसेट से नहीं रहना चाहता। अपना स्वयं का मालिक माइंड सेट के साथ जीवन में इन्जॉय करना चाहूता हूं। इसे मेरा इस्तीफा समझा जाये। वो अपनी मर्जी से नौकरी का त्याग कर रहे हैं।

शिक्षकों को गुमराह

हेड मास्टर ज्ञान सिंह के बीएमडब्लू खरीदने पर भी शशि बैरागी ने फेसबुक पर फोटो डाल इशारे में सभी शिक्षकों को हर्बल लाइफ का काम करने मोटिवेट किया था। राधवेंद्र पैकरा के बीएमडब्लू खरीदने पर भी लिखा है कि ये सब आपके हार्ड वर्क और डेडिकेशन से संभव हुआ…यदि आपने सोचने और सपना देखने का हिम्मत नहीं किया होता तो ये बिल्कुल संभव नहीं होता…आज लोग सपना नहीं देखना चाहते है तो लोग मजाक बनाते हैं…अब आपको तय करना है कि अपनी सुनना है या लोगों की। इसका आशय यह है कि नौकरी छोड़, हर्बल प्रोडक्ट का काम करो।

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