CG – 15 अगस्त शुष्क दिवस पर ढाबों व ठेले-गुमटियों में देर रात तक जमकर बिकी देशी-अंग्रेजी शराब पुलिस कुम्भकर्णीय निंद्रा में रही लीन पढ़े पूरी ख़बर
कोरबा//ऊंची दुकान-फीके पकवान” यह कहावत आपने सुनी होगी। जिसमें काम कम किया जाता है लेकिन गुणगान ज्यादा की जाती है। दरअसल हम यह मुहावरा आपको इसलिए बता रहे है, क्योंकि इन दिनों पाली थाना की पुलिस भी अवैध शराब मामले को लेकर कुछ ऐसा ही कर रही है। जहां गांवों में कच्ची शराब की धरपकड़ को लेकर तो सक्रिय है लेकिन कार्रवाई महज खानापूर्ति की कर अपने हाथों अपनी पीठ थपथपाने में लगी है। जबकि दूसरी ओर बीते शुष्क दिवस पर नगर सहित नेशनल हाइवे के ढाबों और ठेले- गुमटियों में धड़ल्ले के साथ देशी- अंग्रेजी शराब की बिक्री हुई और इसके संचालकों ने खूब चांदी काटे, तो वहीं पुलिस को भनक तक नही लगी अथवा सब जानते समझते हुए भी आंखें मूंदे रहे।
बीते शुक्रवार को आजादी का पर्व 15 अगस्त होने की वजह से शासन- प्रशासन द्वारा शुष्क दिवस घोषित किया गया था। जिसमे मांस- मदिरा की दुकाने पूर्ण रूप से बंद रखने आदेश जारी किया गया था। लेकिन नगर के ढाबों सहित नेशनल हाइवे में स्थित ढाबें और चर्चित ठेले- गुमटियों में देशी- अंग्रेजी की शराब आधी रात तक जोरो से बिकी। जिस पर पाली पुलिस की सुस्ती से किसी भी प्रकार की कार्रवाई नही हो सकी। शुष्क दिवस पर नगर स्थित ढाबों और नेशनल हाइवे पर डूमरकछार से बगदेवा के मध्य संचालित ढाबें व ठेले- गुमटियां अवैध शराब बेचने के मामले में गुलजार रही और इस धंधे में संचालकों ने खूब चांदी काटे। बीते शुक्रवार की शाम होते ही कई ढाबें तो मयखाने में तब्दील हो गए थे और संचालकों के हौसले इतने बुलंद कि खुलेआम शराब परोसने में गुरेज नही की। तो वहीं शराब प्रेमियों की भीड़ ऐसे ढाबें और ठेले गुमटियों में देखी गई, जो जाम से जाम टकराने के बाद निकलते रहे। नगर की किनारे से होकर गुजरने वाले राज्य राजमार्ग के किनारे ढाबों का मनमर्जी से संचालन व शराब बिक्री किया जा रहा है। लेकिन उन ढाबों की पड़ताल करने को लेकर पुलिस को शायद मतलब नही है। ऐसे में मनमर्जी से संचालित ढाबों में शराब बिक्री होना तो संभवित बात होगी। जिसके देखा- देखी ठेले गुमटियां वालों ने भी कुछेक पाव देशी अंग्रेजी शराब बेचनी शुरू कर दी। शुष्क दिवस के नियमों को जिन्होंने दरकिनार कर खूब शराब बेची। यह न सिर्फ कानून की अवहेलना है, बल्कि पुलिस की लापरवाही को उजागर करता है और जो गतिविधि प्रशासन व पुलिस व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ड्राई- डे केवल नाम मात्र का रह गया है। शराब कोचियों को पुलिस का डर नही रह गया है। उन्हें पहले से ही जानकारी होती है कि कहां और किस तरह से जांच होगी। जिसके चलते वे नियमों की धज्जियां उड़ाने से नही चूकते। गत माह नेशनल हाइवे पर संचालित होटलों ढाबों में अवैध शराब परोसे जाने की खबर के बाद हरकत में आई पाली पुलिस ने जांच कार्रवाई अभियान के तहत एनएच किनारे ढाबों में जाकर संचालकों को शराब बिक्री नही करने की चेतावनी देकर बैरंग लौट गई थी। लेकिन पुलिस की रहमत भरी चेतावनी का असर भला कैसे होगा। नियमानुसार सही कार्रवाई से ऐसे अवैध कारोबार पर रोक लगाया जा सकता है। लेकिन जिले के संवेदनशील पुलिस कप्तान के द्वारा अवैध नशे के कारोबार पर लगातार कार्रवाई के थाना- चौंकी प्रभारियों को निर्देश के पालन में पाली थाना के पुलिस अधिकारी खानापूर्ति की कार्रवाई कर अपनी पीठ “ऊंची दुकान- फीकी पकवान” की भांति थपथपाने में लगी हुई है। ऐसे में अवैध शराब बिक्री पर रोक लगाना दूर- दूर तक दिखाई नही पड़ रहा है।