वक्त के मास्टर, वक्त के डॉक्टर और वक्त के गुरु के पास जाना पड़ता है – बाबा उमाकान्त महाराज

वक्त के मास्टर, वक्त के डॉक्टर और वक्त के गुरु के पास जाना पड़ता है – बाबा उमाकान्त महाराज
जितने भी सन्त आए सभी ने यह कहा है कि वक्त के गुरु के पास जाना चाहिए
पटियाला, पंजाब। बाबा उमाकान्त महाराज ने 13 अगस्त 2025 के सतसंग में नामदान लेने के लिए आए हुए नए लोगों से कहा कि आज आपको वह नाम बताया जाएगा जिसके लिए गोस्वामी जी महाराज ने कहा “कलयुग योग, यज्ञ नहीं जाना। एक आधार नाम गुण गाना।।”
कलयुग में योग, यज्ञ, जप, तप से कोई काम बनने वाला नहीं है। जन्म-मरण से छुटकारा पाने का केवल एक ही रास्ता है; ‘नाम’। इसी नाम के लिए उन्होंने कहा “नाम लेत भव सिंधु सुखाई” इस भवसागर (दुनिया-संसार) से पार होना बड़ा मुश्किल है, लेकिन इस नाम को लेते ही यह सूख जाता है। जैसे अगर नदी में पानी रहेगा तो एक जगह से दूसरी जगह नहीं जा सकते हैं लेकिन जब नदी
सूख जाएगी तब आराम से नदी को पार कर पाएंगे।
ऐसे ही अगर भवसागर सूख जाए तो इस संसार से प्रभु के पास जाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। ऐसे-ऐसे उदाहरण मिलते हैं कि इस नाम की कमाई करके एक आदमी ने पानी के ऊपर चल कर के नदी को पार कर दिया। यह नाम कलयुग में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस नाम से लोक और परलोक दोनों बनते हैं।
वक्त गुरु को खोज तेरे भले की कहूं
जितने भी सन्त आए उन्होंने इस बात को कहा है कि वक्त के जो गुरु होते हैं उनके पास जाना चाहिए। जैसे जिन वैद्य जी ने पिताजी का इलाज किया था, अब वह नहीं रहे और आप कहो कि हम पिताजी के डॉक्टर से इलाज करा कर के ठीक हो जाएंगे, तो यह कैसे संभव है? जैसे जिन मास्टर साहब ने आपको पढ़ाया था और अब वह इस दुनिया में नहीं रहे, अब आप यह कहो कि हम हमारे बच्चों को उन्हीं मास्टर से पढ़ा कर के कलेक्टर, कमिश्नर बना देंगे, तो यह कैसे संभव है, नहीं है।
इसीलिए सन्तों ने कहा “वक्त गुरु को खोज तेरे भले की कहूं”, तो वक्त के मास्टर, वक्त के डॉक्टर और वक्त के गुरु के पास जाना पड़ता है।