छत्तीसगढ़

CG High Court ब्रेकिंग : 84 बच्चों को कुत्ते का जूठा खाना परोसने पर HC सख्त, छात्रों को इतने हजार रुपये दिए जाने के निर्देश दिए…..

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के एक सरकारी स्कूल में पिछले महीने कथित तौर पर कुत्ते का जूठा भोजन छात्रों को परोसे जाने के मामले की सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह प्रत्येक छात्र को एक महीने के भीतर 25-25 हजार रूपए का भुगतान करे।

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने इस मामले का जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में स्वतः संज्ञान लिया था और राज्य से हलफनामा मांगा था। सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में प्रस्तुत जांच रिपोर्ट के अनुसार, यह घटना 28 जुलाई को बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के लच्छनपुर गांव के एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में हुई थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि छात्रों के बयान के अनुसार, 28 जुलाई को एक कुत्ते ने स्कूल में एक स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) द्वारा तैयार किए जा रहे मध्याह्न भोजन को जूठा कर दिया था और जब छात्रों ने शिक्षकों को इसकी सूचना दी तब उन्होंने समूह के सदस्यों को छात्रों को यह खाना न परोसने की सलाह दी थी लेकिन इसके बावजूद स्वयं सहायता समूह ने बच्चों को खाना वितरित किया।

रिपोर्ट के अनुसार स्कूल के प्रधानाध्यापक से शिकायत करने के बावजूद खाने-पीने के गंदे सामान को भोजन से नहीं हटाया गया और बच्चों ने उसे खा लिया।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ), बलौदाबाजार-भाटापारा ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है और उनकी रिपोर्ट के अनुसार, आठ अगस्त तक स्कूल के 84 बच्चों को रेबीज रोधी टीके की तीन खुराक दी जा चुकी हैं।

सीएमएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, सभी छात्र स्वस्थ हैं और नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं। यह भी बताया गया है कि बच्चे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लच्छनपुर की निरंतर निगरानी में हैं।

स्वयं सहायता समूह को शासकीय माध्यमिक विद्यालय लच्छनपुर में मध्याह्न भोजन के कार्य से हटा दिया गया है और उसे आगे कोई भी सरकारी लाभ नहीं दिया जाएगा।

सरकारी रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रभारी प्राचार्य संतोष कुमार साहू, संकुल प्राचार्य, प्रभारी प्रधानाध्यापक, शिक्षकों और संकुल समन्वयक को भी दिनांक छह अगस्त के आदेश के तहत निलंबित कर दिया गया है।

बलौदाबाजार-भाटापारा के जिलाधिकारी ने स्कूल शिक्षा से जुड़े सभी संबंधित विभागों को लिखे एक पत्र में स्कूलों में मध्याह्न भोजन की तैयारी और वितरण के संबंध में कुछ निर्देश जारी किए हैं।

स्कूल शिक्षा संचालनालय ने छत्तीसगढ़ के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को भोजन की गुणवत्ता, स्वच्छता और सफाई बनाए रखने, भोजन तैयार होने के बाद खाद्य सुरक्षा गुणवत्ता की जांच करने और प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना में निर्धारित भोजन के मानक को सुनिश्चित करने के संबंध में दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।

राज्य ने उच्च न्यायालय को बताया कि इस मामले में कोई मुआवजा नहीं दिया गया क्योंकि स्वास्थ्य जांच के बाद बच्चे स्वस्थ पाए गए।

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की पीठ ने मंगलवार को दिए अपने आदेश में कहा, ”सरकार और स्वयं सहायता समूह को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने का काम सौंपा गया था, लेकिन उक्त मध्याह्न भोजन कुत्ते द्वारा दूषित कर दिया गया था और यह स्कूल के छात्रों के खाने योग्य नहीं था। यद्यपि स्कूल के 84 बच्चों को रेबीज रोधी टीके की तीन खुराकें दी जा चुकी हैं, फिर भी राज्य की ओर से यह लापरवाही बरती गई।”

उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कुत्ते का झूठा भोजन खाने वाले प्रत्येक छात्र को एक माह के भीतर 25-25 हजार रूपए का भुगतान करने के लिए कहा है।

उच्च न्यायालय ने कहा है, हमें आशा और विश्वास है कि राज्य सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों को मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने में अधिक सतर्क और सावधान रहेगा।

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