CG – भ्रष्ट्राचार का पर्याय बना कटघोरा जनपद का यह पंचायत सरपंच-सचिव ने देवस्थल को भी नहीं छोड़ा फर्जी तरीके से निर्माण के नाम पर डकारे लाखों पढ़े पूरी ख़बर
कोरबा//जिले के जनपद पंचायत कटघोरा अंतर्गत मोहनपुर ग्राम पंचायत जहां के वर्तमान सरपंच पत्नी सावित्री बाई के तत्कालीन सरपंची कार्यकाल में शातिर सचिव रहीम अली के सांठगांठ से भ्रष्ट्राचार का तांडव किया गया और ग्राम विकास की राशि से निज विकास को दिलेरी से प्राथमिकता देने के मामले में अव्वल रहने वाले जिम्मेदारों की करतूतों ने इस पंचायत को सुर्खियों में ला खड़ा कर दिया है। सरकारी धन को बपौती समझ हेराफेरी करने वाले यहां के सरपंच सचिव के जिन कारगुजारियों को लगातार तध्यत्मक खबरों के माध्यम से प्रसारित कर संबंधित अधिकारियों के संज्ञान में लाया जा रहा है, ताकि भ्रष्ट्राचार पर उचित जांच व कार्यवाही किया जाकर डकारी गई लाखों की सरकारी राशि की वसूली की जा सके। बावजूद इसके संबंधित वर्गों के कानों में जूं तक नही रेंग रही है। ऐसे में पंचायत के ग्रामीणों का कहना है कि भ्रष्ट्राचार की जांच या कार्यवाही मामले में प्रशासनिक उदासीन रवैया को लेकर आखिर राज क्या है साहब…?
संविधान में ग्रामीण अंचलों के विकास एवं बिगड़ी व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए पंचायत राज अधिनियम का गठन किया गया। जिसमें साल में 3 से 4 बार ग्राम सभा एवं मासिक बैठक का प्रावधान बनाया गया है। बता दें कि ग्राम पंचायत की ग्राम सभा मे पंच, सरपंच, उपसरपंच एवं सचिव मुख्य रूप से उपस्थित होते है, साथ ही पंचायत क्षेत्र के ग्रामीण भी इसका हिस्सा होते है। और ये सभी लोग मिलकर पंचायत के विकास की योजनाएं बनाते है और अपनी सहमति देते है। वहीं ग्राम पंचायत में विकास के रूप में होने वाले निर्माण कार्यों में लगने वाले बिलों की पारदर्शिता के लिए मासिक बैठक का आयोजन भी किया जाता है ताकि विकास/निर्माण की राशि मे किसी भी प्रकार का भ्रष्ट्राचार ना हो सके। इसमें निर्माण कार्यों से संबंधित जो बिल लगाया गया है, उनकी जांच पड़ताल किया जाता है कि बिल सही है या फर्जी और जब पंचायत प्रतिनिधियों की सहमति होती है तब सरपंच व सचिव द्वारा उन बिलों का भुगतान पंचायत राशि से कराया जाता है। जो त्रिस्तरीय पंचायत राज अधिनियम में स्पष्ट रूप से लिखा है, पर पंचायत राज अधिनियम की धज्जियां उड़ाने में माहिर ग्राम पंचायत मोहनपुर में फर्जी बिलों से लाखों की राशि आहरण कर गुरछर्रे उड़ाई गई है। यहां सरपंच सचिव द्वारा अंजाम दिए गए भ्रष्ट्राचार के लंबे फेहरिस्त है, जिनमे रायपुर सम्मेलन, शिविर, नाश्ते, भोजन में मूलभूत मद के 1.37 लाख का वारा न्यारा, पंचायत भवन हेतु कुर्सी, टेबल, आलमारी खरीदी के नाम पर 14वें वित्त के 1.91 लाख की हेराफेरी, मंच, नाली, सीसी रोड का बिना निर्माण 7.04 लाख का 15वें वित्त से आहरण संबंधित खबरें प्रसारित किया जा चुका है। इनके बाद सरपंच सचिव द्वारा किये गए भ्रष्ट्राचार की एक और कड़ी में शेड एवं पचरी निर्माण के नाम पर भी 2,41,977 लाख की राशि 15वें वित्त से निकाली गई है, जिसमें देवस्थल में शेड निर्माण के लिए बाउचर तिथि 19/01/2024 को 80000 रुपए एवं 16/09/2024 बाउचर की तिथि में 1,19,774 लाख रुपए की राशि निकाली गई है, इसी तरह मोहनपुर के तालाब में पचरी निर्माण हेतु बाउचर तिथि 19/01/2024 में 60000 रुपए व 16/09/2024 बाउचर की तिथि में 90000 रुपए का आहरण है, लेकिन मौके पर आज तलक न तो शेड का निर्माण हुआ है और न ही पचरी का। इन दोनो कार्य की राशि भी फर्जी बिलों से आहरण की गई और बंदरबांट कर लिया गया। आलम यह है कि सरपंच सचिव के मिलीभगत के परिणामस्वरूप अनगिनत भ्रष्ट्राचार से मोहनपुर पंचायत का विकास काफी पीछे चला गया है। यदि तमाम राशि आहरण से संबंधित कार्यों सहित बीते पांच साल के कार्यों का विभागीय मौका जांच किया जाए तो बड़े भ्रष्ट्राचार का खुलासा हो सकता है। लेकिन इस मामले में अधिकारियों के उदासीन रवैये को लेकर यहां के ग्रामीणों का कहना है कि बहती गंगा में तो सब हाथ धोते है मगर भ्रष्ट्राचार की इस गंगा में सरपंच- सचिव के साथ अधिकारियों ने भी डुबकी लगाई होगी, शायद इसीलिए जांच अथवा कार्यवाही प्रक्रिया को लेकर अनदेखी किया जा रहा है। इस पंचायत में और भी कई भ्रष्ट्र कृत्य को अंजाम देकर शासन की मनसा पर पानी फेरा गया है, जिसे आगे के खबर में प्रसारित किया जाएगा।