राजस्थान

CG – सन्तों से नामदान लिए हुए जीव को यमराज के दूत छूते भी नहीं हैं, लेकिन पापी जीवों का हिसाब यमराज के पास होता है – बाबा उमाकान्त महाराज

सन्तों से नामदान लिए हुए जीव को यमराज के दूत छूते भी नहीं हैं, लेकिन पापी जीवों का हिसाब यमराज के पास होता है – बाबा उमाकान्त महाराज

पैदा होते ही आपके दोनों कंधों पर दो दूत बिठा दिए जाते हैं। एक आपके अच्छे कर्मों को और दूसरा आपके बुरे कर्मों को लिखता है

झुंझुनू, राजस्थान। परम् पूज्य बाबा उमाकान्त महाराज ने 8 अगस्त 2025 के सतसंग में कहा कि प्राण जब निकलते हैं तब बहुत तकलीफ होती है और आदमी रोता-चिल्लाता है। जीवात्मा को यमराज के दूत जब निकाल लेते हैं तब उनके सामने रोता है, गिड़गिड़ाता है और कहता है छोड़ दीजिए। लेकिन वे छोड़ते नहीं हैं क्योंकि उनकी तो ड्यूटी ही यही होती है। जीव को यमराज के दूत शरीर से निकाल कर यमराज के सामने पेश करते हैं। वहां दिव्य पुरुष (यमराज) बैठे रहते हैं। वे देखने में बहुत सुंदर है, दिखने में उनका चेहरा मनमोहक है, सौम्य स्वभाव के दिखते हैं लेकिन कहा गया “देखन में छोटे लगे, घाव करे गंभीर” तो देखने में तो वे दयालु लगते हैं लेकिन सजा देने में दयालु नहीं हैं।

जिसको आप नहीं देख रहे हो, वह आपकी सारी करतूतों को देख रहा है

सन्तों से नामदान लिए हुए जीव को यमराज के दूत छूते भी नहीं हैं, उसके नजदीक ही नहीं जाते हैं। यमराज उन जीवों का वारंट नहीं काट सकते हैं कि जाओ इनका समय पूरा हो गया, इनको पकड़ कर के ले आओ। लेकिन जो मुलजिम होते हैं, शरीर से पाप ही करते हैं, सारे अंग जिनके पापी हो जाते हैं। जो अपने निजी स्वार्थ के लिए, जुबान के स्वाद के लिए, इंद्रियों के स्वाद के लिए पाप करते हैं, उसका हिसाब यमराज के पास रहता है।
आप भले ही कहो कि आंख बचा कर के यह काम कर लो, कोई नहीं देख रहा है। लेकिन जिसको आप नहीं देख रहे हो, वह आपकी सारी करतूतों को देख रहा है और वह सब लिखा जा रहा है।

जिसका जैसा कर्म होता है उसी हिसाब से नरकों में सजा भोगनी पड़ती है

पैदा होते ही आपके दोनों कंधों पर दो दूत बिठा दिए जाते हैं। एक अच्छा लिखता है और दूसरा बुरा लिखता है। और जब समय पूरा हो जाता है तब वह लिखा हुआ वे ऊपर पेश कर देते हैं, फिर उसी के आधार पर वह (यमराज) सजा बोल देते हैं कि ले जाओ इनको और इतने हजार वर्ष तक इस नर्क में डालो, इतने लाख वर्ष तक इस नर्क में डालो।

छोटे-बड़े मिलाकर के कुल 42 प्रकार के नर्क हैं; 22 तो बड़े-बड़े हैं और बाकी छोटे-छोटे हैं। तो जिसका जैसा कर्म होता है उसी हिसाब से उन नरकों में सजा भोगनी पड़ती है।

प्रभु की दया से यह मनुष्य शरीर मिलता है

चार युग हैं; सतयुग, त्रेता, द्वापर और कलयुग। जब चार युग बीत जाते हैं तब एक चौकड़ी होती है। बहत्तर बार जब चौकड़ी बीतती है तब एक मन्वंतर होता है और चौदह मन्वंतर जब बीत जाते हैं तब एक कल्प होता है। एक-एक कल्प तक एक-एक नर्क में, कर्मों के अनुसार रहना पड़ता है।

तब उसके बाद चौरासी लाख योनियों में जाना पड़ता है; कीड़ा, मकोड़ा, सांप, बिच्छू इत्यादि। फिर गाय और बैल की योनि मिलती है और गाय-बैल की योनि के बाद प्रभु की दया से यह मनुष्य शरीर मिलता है।

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