CG ब्रेकिंग : शिक्षा विभाग के दो अफसर बर्खास्त, इस वजह से हुई सेवा समाप्ति…..

रायपुर। शिक्षा विभाग में पदस्थ दो अफसरों को राज्य सरकार ने बर्खास्त कर दिया है। इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है। दरअसल राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण (SLMA) में कार्यरत दो संविदा सहायक संचालकों – प्रशांत कुमार पाण्डेय और दिनेश कुमार टॉक – की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। यह आदेश मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की मंजूरी के बाद मिशन संचालक द्वारा जारी किया गया।
मिशन संचालक ने आदेश में उल्लेख किया है कि यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र क्रमांक एफ-9/2004-1-3 रायपुर दिनांक 28 जुलाई 2004 के प्रावधानों और छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (संविदा नियुक्ति) नियम 2012 के तहत की गई है।
दोनों सहायक संचालकों की संविदा नियुक्ति 1 जून 2024 से एक वर्ष की अवधि के लिए की गई थी। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया था कि संविदा की अवधि पूरी होने के बाद प्राधिकरण की आवश्यकता और संविदा कर्मियों की उपयुक्तता के आधार पर ही नियुक्ति को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया जाएगा।
मिशन संचालक ने अपने आदेश में कहा कि प्राधिकरण ने आवश्यकता और प्रदर्शन का आकलन करने के बाद उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय भूतलक्षी प्रभाव (retrospective effect) से लागू किया गया है, यानी आदेश की प्रभावी तिथि पूर्व की निर्धारित की गई है।
जारी आदेश में स्पष्ट किया गया है कि यह कार्रवाई पूरी तरह नियमसम्मत है और संविदा नियुक्तियों के लिए बनाए गए प्रावधानों का अनुपालन करते हुए की गई है। सामान्य प्रशासन विभाग के परिपत्र और 2012 के संविदा नियुक्ति नियमों में यह प्रावधान है कि संविदा पर नियुक्त किसी भी अधिकारी-कर्मचारी की सेवाएं आवश्यकता न होने या उपयुक्तता नहीं पाए जाने पर समाप्त की जा सकती हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह फैसला राज्य सरकार द्वारा चल रहे प्रशासनिक सुधारों का हिस्सा है। राज्य साक्षरता मिशन प्राधिकरण में संविदा पर नियुक्त अन्य पदों की समीक्षा भी की जा रही है, ताकि मिशन के उद्देश्यों को प्रभावी ढंग से पूरा किया जा सके। इस आदेश के बाद प्राधिकरण में खाली हुए पदों पर आगे नियुक्ति होगी या नहीं, यह आने वाले दिनों में स्पष्ट होगा। शिक्षाविदों का मानना है कि साक्षरता मिशन जैसे संवेदनशील विभाग में योग्य अधिकारियों की नियुक्ति सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है, ताकि राज्य में साक्षरता दर बढ़ाने के प्रयास प्रभावित न हों।