कुछ दिनों के लिए और किसी विशेष काम के लिए, यह मानव शरीर रूपी मंदिर आपको मिला है – बाबा उमाकान्त महाराज

कुछ दिनों के लिए और किसी विशेष काम के लिए, यह मानव शरीर रूपी मंदिर आपको मिला है – बाबा उमाकान्त महाराज
इसी मनुष्य शरीर में रह कर के अपनी आत्मा का कल्याण कर लो और इसे नरक चौरासी में जाने से बचा लो
उज्जैन, (म. प्र.)। परम् पूज्य बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 15 अगस्त 2025 के सतसंग में कहा कि इस मनुष्य रूपी मंदिर को हिन्दू धर्म के मानने वालों ने ‘मानव मंदिर’ कहा है, इस्लाम धर्म के मानने वालों ने ‘जिस्मानी मस्जिद’ कहा है, सिख धर्म के मानने वालों ने ‘गुरुद्वारा’ कहा है और ईसा मसीह ने ‘टेंपल ऑफ लिविंग गॉड’ कहा है। यह मनुष्य शरीर भगवान का बनाया हुआ, भगवान का दर्शन करने का मानव शरीर रूपी मंदिर है।
हमारे गुरु महाराज ने कहा कि यह मानव मंदिर किराए के मकान की तरह से है। यह कुछ दिन के लिए दिया गया है और विशेष काम के लिए दिया गया है। इसीलिए इसको साफ-सुथरा रखो और इसी मनुष्य शरीर में रह कर के अपनी आत्मा का कल्याण कर लो। इस जीवात्मा को नरकों में जाने से बचा लो, फिर यह कभी भी माँ के जेल रूपी पेट में नौ महीने के लिए कैद ना होने पावे।
आज तक जिसको भी भगवान का दर्शन हुआ, इसी मनुष्य शरीर में हुआ
आज तक जिसको भी भगवान का दर्शन हुआ, इसी मनुष्य शरीर में हुआ। अगर नहीं होता तो कबीर साहेब क्यों कहते कि इसी में वह प्रभु मिलता है, इसी में सब कुछ है।
कहा गया है, “पांचों नौबत बाजती, होय छत्तीसों राग।
जा मंदिर खाली पड़ा, बैठन लागे काग।।”
तो इसी में पांचों नौबत और छत्तीसों राग होती हैं। लेकिन जब यह जीवात्मा निकल जाती है तब यह मंदिर खाली पड़ा रहता है और मरे हुए शरीर के ऊपर गिद्ध और कौवा हमला करते हैं, उस पर बैठते हैं।
कहा है, “या घट भीतर सात समंदर, या ही में मलमल नहाओ”
तो इसी में सब कुछ है। इसी में गंगा, इसी में जमुना और इसी में सिरजनहारा (भगवान) है। तभी तो मीरा ने कहा,
“घट-घट मेरा साईयां, सूनी सेज ना कोय।
बलिहारी वा घट का, जा घट प्रगट होय।।”
सब के अंदर उस मालिक का स्थान है। उन्होंने कहा कि वह घट बलिहारी है; वह घट सराहनीय है, वह सम्माननीय है, वह घट पूजनीय है जिस घट के अंदर प्रभु दिखाई पड़ता है, जिसमें प्रभु का निवास है। गुरु साहिबान ने भी कहा, “गुरु घर में घट दिखलावें, धुन शब्द पाँच बतलावें”। इसलिए सभी ने इस मनुष्य शरीर में रहकर अपनी आत्मा के कल्याण की बात कही है।