CG – शासन के युक्तियुक्तकरण में अपनी मनमानी कर आदेश देने वाले पोड़ी बीईओ दयाल संलग्नीकरण के मामले को नकार दे रहें सफाई जानें पूरा मामला पढ़े पूरी ख़बर
0 लगता हैँ साहब को ढंग से हिंदी का परिभाषा नही आता.
कोरबा//शासन के युक्तियुक्तकरण को चुनौती देते हुए अपना आदेश जारी कर शिक्षकों को उनके मनपसंद स्थानों पर संलग्न करने के मामले में पोड़ी उपरोड़ा के ईमानदार बीईओ के.राजेश्वर दयाल के क्रियाकलाप की खबरे आम होने के बाद अब वे अपनी सफाई देते प्रसारित खबरों को निराधार, भ्रामक और बिना तथ्यों का बताते हुए खुद खंडन करने में जुटे हुए है। बता दें कि शासन के युक्तियुक्तकरण के तहत कन्या आश्रम हरदीबाजार में पदस्थ प्रधान पाठिका लक्ष्मी सिदार का स्थानांतरण प्राथमिक शाला खुर्रुभांठा किया गया है, जिन्होंने निर्धारित स्थल पर ज्वाइनिंग लेने के दूसरे दिन ही पूर्व पदस्थ स्थान पर ही ड्यूटी कर रही है। वहीं प्राथमिक शाला नानलेपरा में पदस्थ शिक्षिका स्वर्णलता भारती जिन्हें प्राथमिक शाला नदियापार भेजा गया है, वह पोड़ी उपरोड़ा स्थित कन्या छात्रावास में अधीक्षिका बतौर कार्यरत है। प्राथमिक शाला केंदहाडांड़ में पदस्थ सहायक शिक्षिका प्रिया नागवंशी का 11 अक्टूबर 2010 को जारी एक आदेश के तहत आदिवासी कन्या छात्रावास तुमान में अधीक्षिका के रूप में पदस्थ किया गया था। जिसे युक्तियुक्तकरण में पुनः प्राथमिक शाला केंदहाडांड़ भेजा गया। इस बाबत उन्होंने बीते माह 19 अगस्त 2025 को पोड़ी उपरोड़ा बीईओ को आवेदन देकर बताया कि युक्तियुक्तकरण में उन्हें पसान छात्रावास से प्रा.शा. केंदहाडांड़ पदस्थ किया गया है, जो कि तुमान से 50 किलोमीटर दूर है, जहां से रोज अपने 8 माह के बच्चे के साथ प्रतिदिन बस से शाला और आश्रम आने- जाने में बहुत ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। अतः एक माह के लिए शाला से कार्यमुक्त कर आदिवासी कन्या आश्रम तुमान में कार्य करने की अनुमति प्रदान करें.। उक्त आवेदन में बीईओ दयाल द्वारा अपने आदेश के तहत लिखा है कि नए अधीक्षक के आने तक परमिशन दिया जाता है। जिस मनमानीं व संलग्नीकरण से संबंधित खबरे सामने आने के बाद बीईओ साहब अपनी सफाई देते हुए कथन पेश करते नही थक रहे कि उन पर लगाया गया आरोप गलत है तथा व्यक्तिगत कारणों से बेबुनियाद बाते फैलाकर उनके शिक्षा व्यवस्था को विवादित करना चाह रहे है। उन्होंने न तो किसी शिक्षक का युक्तियुक्तकरण आदेश दिया है और न ही किसी को संलग्न किया है, जिनके नाम सामने लाए जा रहे है वे पूर्व से ही अधीक्षिका के पद पर कार्यरत है। अब साहब को शायद यह नही मालूम कि पूर्व स्थानों पर पदस्थ शिक्षिकाओं को युक्तियुक्तकरण के तहत ही नवीन स्थानों पर स्थानांतरण किया गया है, जहां वे अपनी पदस्थापना देंगे। पर शायद लगातार औचक निरीक्षण करने वाले बीईओ साहब को उक्त शिक्षिकाओं की कार्यविधि नही दिखी। दूसरी ओर युक्तियुक्तकरण में कन्या छात्रावास तुमान से प्रा.शा. केंदहाडांड़ पदस्थ किये गए शिक्षिका के मामले में बीईओ दयाल का सफाई में कहना है कि मैंने केवल यह कहा था कि जब तक नया अधीक्षक पदस्थ नही होता, तबतक स्कूल और छात्रावास दोनों जिम्मेदारियां संभालते रहे। इस मामले में भी साहब को शायद ढंग से हिंदी का परिभाषा नही आता जो शिक्षिका प्रिया नागवंशी द्वारा प्रेषित आवेदन में स्पष्ट उल्लेख कि *”मुझे एक माह के लिए शाला से कार्यमुक्त कर कन्या आश्रम तुमान में ही कार्य करने अनुमति दी जाए”* जैसे शब्दों को ढंग से पढ़ नही पाए और तुमान आश्रम संभालने के आदेश दे दिए। इसे एक तरह से संलग्नीकरण ही कहा जा सकता है। साहब का कहना कि उन्होंने शासन की मंशा और नियमो के खिलाफ जाकर कोई कार्य नही किया तो क्या युक्तियुक्तकरण के बाद नवीन पदस्थापना वाले उक्त शिक्षिकाओं के कार्य उन्हें सही प्रतीत नजर आए जो उन्होंने अपनी मनमानी को अंजाम दिया।