छत्तीसगढ़

CG – स्कूली किशोर छात्र हो रहे कोयला चोरी की ओर अग्रसर काली कमाई की चाह से भविष्य पर सवाल सुरक्षा बल व पुलिस की भूमिका पर प्रश्न चिन्ह पढ़े पूरी ख़बर

कोरबा//एसईसीएल सराईपाली परियोजना के बुड़बुड़ ओपन कास्ट खदान से अब कोयला चोरी को लेकर स्कूली किशोरवय वर्ग सक्रिय है,जो कोयले की काली कमाई के चक्कर मे अपना भविष्य दांव पर लगाकर खुद को चोरी जैसे कृत्य के गर्त में ले जा रहे है। जिन किशोरवयों को दिनदहाड़े बड़ी मात्रा में कोयला लेकर जाते आसानी से देखा जा सकता है। आश्चर्य की बात है कोयला उत्पादन के लिए करोड़ो रूपये मशीनी उपकरणों के खरीदी व ठेका कंपनी के अनुबंध में फूंके जा रहे है, वहीं उत्पादित कोयला को सुरक्षित रखने सुरक्षा बल की तैनाती भी की गई है, बावजूद इसके कोयला चोरी की वारदात पर अंकुश लगा पाने में प्रबंधन नाकाम दिख रहा है। जिससे कोयला चोरों व बिचौलियों के लिए लंबे समय से अवैध कमाई का जरिया तो बना ही हुआ है, साथ ही गांव के स्कूली किशोरवय भी खदान पहुँचकर सुरक्षा कर्मियों के सामने ही बोरियों में कोयला भर आराम से ले जा रहे है, जिस कोयले को ईंट भट्ठों, होटलों- ढाबों में तीन से चार सौ रुपए प्रति बोरी के दर से बिक्री कर रहे है। जिन्हें कोई रोकने वाला नही है। अनुमान के मुताबित रोजाना बुड़बुड़ खदान से 30-40 टन कोयला को चोरी के माध्यम से ले जाया जा रहा है। सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि समूह में आए ग्रामीण वर्ग व पढ़ने वाले किशोरवय खदान के बंकर के नीचे से कोयला बोरी में भरकर कंधों में लादकर खदान से बाहर पहुँचते है तथा साइकिल, मोटर साइकिल के माध्यम से अपने गंतव्य की ओर लेकर जाते है। यह गतिविधि प्रातः 6 से 9 बजे और शाम 5 से 7 बजे तक देखने को मिलती है। सोचनीय है कि खदान से रोजाना लाख रुपए से अधिक की कोयला चोरी हो रही है। यहां प्रबंधन आखिर किस तरह स्टॉक मेंटेन कर रहा है। गहन चिंता का विषय तो यह है कि कक्षा 6वीं से 10वीं में पढ़ने वाले किशोरवय छात्र वर्ग इस कोयला चोरी की ओर इन दिनों ज्यादा आकर्षित है, जिन्हें नियम- कानून और अपराध के बारे में पता ही नही है। ऐसे पढ़ने वाले आसपास ग्रामीण क्षेत्र के छात्र कम समय और कम मेहनत में अधिक पैसा कमाने की चाह में कोयला चोरी जैसे कृत्य में पड़कर अपना भविष्य दांव में लगाने के साथ चोरी जैसे समाज विरोधी गतिविधि में अग्रसर हो रहे है, जो निसंदेह आगे चलकर पैसों की लालच में बड़ी चोरी, लूटमार जैसे घटनाक्रम की ओर आकर्षित हो सकते है। खदान से कोयला चोरी के खेल में संलिप्त ग्रामीण लोगों का कहना है कि वे खदान में ड्यूटी पर तैनात सुरक्षा बल को प्रति बोरी कोयला के हिसाब से 50 रुपए तो पुलिस को 5 से 7 हजार महीना देते है, जिस कारण वे यह काम आसानी से कर रहे है। इस पर रोक नही लगा तो आगे चलकर कोयला चोरी जैसे वारदात को और अधिक बल मिलेगा, वहीं स्कूली किशोरवय वर्ग के इस कार्य मे संलिप्ता से स्थिति भयावह हो सकती है।

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