CG – घोर लापरवाही : स्कूल के पास एक्सपायरी दवाइयां जलाने से हवा हुई जहरीली, 8 स्कूली बच्चों की तबीयत बिगड़ी, आनन-फानन में अस्पताल में कराना पड़ा भर्ती……

पखांजुर। कांकेर जिले के पखांजुर से गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है, जहां निजी स्कूल के पास एक्सपायरी दवाइयां जलाए जाने से जहरीला धुआं फैल गया और 8 बच्चियों की तबीयत बिगड़ गई, जिन्हें आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। सभी छात्राओं का उपचार जारी है। फिलहाल सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं।
सरस्वती शिशु मंदिर स्कूल पीवी-43 के पास आज दोपहर 2 बजे उपस्वास्थ्य केंद्र के आरएसओ द्वारा एक्सपायरी दवाइयों को जलाया गया। दवाइयों के जलने से उठे धुएं ने स्कूल परिसर को अपनी चपेट में ले लिया, जिससे कई छात्राओं को सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन और घबराहट होने लगी।
बताया जा रहा है कि आरएसओ विवेक बड़ाई ने स्कूल के बिल्कुल पास ही एक्सपायरी दवाइयों में आग लगा दी। जलने से निकला जहरीला धुआं हवा के साथ सीधे स्कूल की ओर फैल गया। उस समय कक्षा में करीब 40 बच्चे मौजूद थे। धुआं फैलते ही कई छात्रों की तबीयत बिगड़ने लगी, जिसके बाद 8 बच्चियों को सिविल अस्पताल पखांजुर में भर्ती किया गया। फिलहाल सभी बच्चे खतरे से बाहर हैं और उनका उपचार जारी है।
सिविल हॉस्पिटल पखांजुर की डॉक्टर मनीषा मींज ने बताया कि बच्चों की हालत में लगातार सुधार हो रहा है। सभी बच्चों को कड़ी निगरानी में रखा गया है। सभी बच्चों को सभी प्राइमरी उपचार दिया गया है। साथ ही बच्चों की तबीयत में सुधार हो रहा है और जो भी प्राइमरी उपचार ज़रूरत था, हमारे द्वारा सभी स्टाफ द्वारा दिया गया है। सभी बच्चों की लगभग तबीयत में सुधार आ चुका है। कुछ अगर जाना चाहते हैं तो घर जा सकते हैं। फिलहाल सभी बच्चे ख़तरे से बाहर हैं। और बच्चों के परिजन के अनुसार पता चला है कि स्कूल के पास कहीं दवाई जलने से फैली ज़हरीली गैस की वजह से बच्चों की तबीयत बिगड़ी थी।
सरस्वती शिशु मंदिर पीवी-43 की प्राचार्य बुलबुल दास ने कहा कि बच्चों को कुछ मेडिसिन जलाने की स्मेल से परेशानी हो रही थी। जैसे सांस लेने में तकलीफ़, आंखों में, चेहरे में, नाक में जलन हो रही थी। बगल में उपस्वास्थ्य केंद्र है। स्वास्थ्य केंद्र में कुछ दवाइयां चलाई जा रही थीं, जिसकी स्मेल से बच्चों की तबीयत बिगड़ी है। आज यहां आठ बच्चे भर्ती हुए थे। अभी बच्चों की स्थिति सुधर रही है। कोई ज्यादा गंभीर नहीं है। पहले की तुलना में तकलीफ़ कम हुई है। डॉक्टर बच्चों की अच्छी देखरेख कर रहे हैं और सभी बच्चों को डॉक्टर की निगरानी में हैं।

