मध्यप्रदेश

नवरात्र के समय शरीर के पांचों तत्वों में बदलाव होता है और इसका असर शरीर पर पड़ता है – बाबा उमाकान्त महाराज

नवरात्र के समय शरीर के पांचों तत्वों में बदलाव होता है और इसका असर शरीर पर पड़ता है – बाबा उमाकान्त महाराज

मौसम बदलाव के समय अगर पेट को खाली रखा जाए तो तत्वों के बदलाव का असर शरीर पर नहीं पड़ेगा

उज्जैन। परम् सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने 21 सितंबर 2025 के सतसंग में कहा कि नवरात्र के समय में तत्वों में बदलाव होता है। कौनसे तत्व? जिनसे यह शरीर बना है; जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश। इस समय के मौसम का असर इन तत्वों पर पड़ता है। जैसे पाँच तत्वों से यह शरीर बना है, तो अगर आप गर्म जगह पर रहते हो और एकदम ठंडी जगह पर चले जाओगे तो ठंडी का असर हो जाएगा क्योंकि जो तत्व इस शरीर को चला रहे हैं उनमें बदलाव हो जाता है, तो असर पड़ता है।

इन्हीं तत्वों से वायु जुड़ा हुआ है। छप्पन प्रकार के वायु होते हैं और ये दस प्रकार के प्राण वायु से उत्पन्न होते हैं जो इस शरीर को चलाते हैं। तो इससे (तत्वों के बदलाव से) वायु भी दूषित हो जाती है और वायु जब दूषित हो जाती है तब गैस बनने लगती है।

ऋषि-मुनियों ने उपवास का नियम क्यों बनाया ?

जब ऋषि-मुनि इस धरती पर आए तब उन्होंने देखा कि मौसम के बदलाव के कारण शरीर पर असर हो रहा है। तो उन्होंने रिसर्च की और पाया कि अगर ऐसे समय में पेट को खाली रखा जाए तो मौसम के बदलने का शरीर पर असर नहीं पड़ेगा। तो उन्होंने उपवास का नियम बना दिया। इस समय जो खाने-पीने की चीजें मिलती हैं शुरू में इनकी खोज नहीं हो पाई थी और इसीलिए वे (मौसम बदलाव के समय) सिर्फ पानी ही पीते थे।

फिर पानी में नींबू डाल कर के पीने लग गए जिससे अंतड़ियों में जो भी मल जमा है वह नींबू के खारापान से घुल कर के बाहर निकल जाए। नींबू खारा होता है, तो पेट के अंदर की चिकनाहट को काटता है, निकाल देता है। और भी ऐसी चीजें हैं जिनके इस्तेमाल से पेट की सफाई हो जाती है लेकिन उससे शरीर के अन्य अंगों पर असर पड़ता है। लेकिन नींबू में कैल्शियम होता है और यह पेट की सफाई के साथ-साथ शरीर को ताकत भी देता है।

उपवास किस तरह से किया जाए ?

सन्त जब इस धरती पर आए तब उन्होंने कहा कि बदन जब हल्का रहेगा और शरीर स्वस्थ रहेगा तभी कुछ भजन, भाव, भक्ति हो सकती है, तभी भगवान याद आ सकते हैं। उन्होंने भी कहा कि उपवास करो। गुरु महाराज भी उपवास रखते थे, हम लोगों को भी करवाते थे। गुरु महाराज द्वारा बताया गया उपवास जब कर लिया जाता था तब बीमारियां नहीं आती थी, गर्मी-ठंडी का इतना असर शरीर पर नहीं आता था। इस तरह से खूब उपवास रह कर के देखा; नींबू पानी पर नौ दिन कर के देखा तो शरीर एकदम फूल जैसा हल्का हो गया।

जिन लोगों को गैस की तकलीफ, घुटनों में दर्द, ब्लड प्रेशर की बीमारी लगी हुई थी; उन्होंने जब नींबू पानी वाला उपवास किया तो बोले पता ही नहीं घुटनों का दर्द कहां चला गया, किसी ने कहा गैस खत्म हो गई। गुरु महाराज ने कहा कि जिन लोगों से नींबू पानी से उपवास ना हो, वे केवल आलू को उबालकर खा लो, कोई भी साग-सब्जी उबाल कर के खा लो या खिचड़ी खा लो। हल्का भोजन करो उससे ये तकलीफें चली जाएंगी।

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