बाबा जयगुरुदेव महाराज में परमात्मा की शक्ति समाहित थी – बाबा उमाकान्त महाराज

बाबा जयगुरुदेव महाराज में परमात्मा की शक्ति समाहित थी – बाबा उमाकान्त महाराज
आपातकाल ख़त्म होने पर जब बाबा जयगुरुदेव जी महाराज जेल से बाहर आये, उस दिन की याद में सतसंगी प्रति वर्ष 23 मार्च को मुक्ति दिवस मनाते हैं
उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने उज्जैन आश्रम पर सतसंग सुनाते हुए बताया जब इमरजेंसी लगी हुई थी और वह जब ख़त्म हुई, तब निजधामवासी परम पूज्य परम सन्त बाबा जयगुरूदेव जी महाराज भी जेल से बाहर आए। उस दिन की याद में अपने सतसंगी भाई हर्षौल्लास से मुक्ति दिवस के रूप में मनाते हैं। पूरे देशभर में जगह-जगह लोग 23 मार्च के दिन मुक्ति दिवस का त्योहार बराबर मनाते हैं। जो साल में एक बार आता है, वह अपने लोगों के लिए त्योहार की तरह से ही है। जो आप प्रेमीजन गुरु पूर्णिमा, वार्षिक भंडारा, मुक्ति दिवस, इन तिथियों को त्योहारों के जैसे मनाते रहे हो, वैसे ही मनाते रहना। हर महीने आने वाली पूर्णिमा और गुरु महाराज की तिथि यानि उनके निजधाम जाने की तिथि जो है त्रयोदशी की, ये सब अपने लोगों को मनाते ही रहना है।
गुरु महाराज के अन्दर परमात्मा की शक्ति समाहित थी
उस शक्ति से ही उनके शरीर में शक्ति आई। उनके मुंह से जो आवाज़ निकलती थी, उसमें शक्ति रहती थी। हाथ से छू लेते थे, तो लोगों की तकलीफ़ में आराम मिल जाता था। मुंह से जो बोल देते थे, उन बातों का प्रभाव पड़ जाता था। जो वे करने को कह देते थे और उसको जब लोग करते थे, कर्म कटते थे, तो लोगों फायदा होता था। उनके अंदर शक्ति थी जिसको लोगों ने बाहर से महसूस किया, लेकिन उनके अंतर में जो शक्ति का खजाना था, उसका अनुभव सब लोग नहीं ले पाए क्योंकि विश्वास नहीं हुआ। मनुष्य शरीर में ही सन्त रहते हैं तो वे क्या बोलते हैं, क्या खाते हैं, क्या पहनते हैं, कैसे चलते हैं, आदमी उधर चला जाता है। तब अंतर में अनुभव नहीं हो पाता है।