बगैर सतगुरु मिले, तीसरी आंख नहीं खोल सकते – बाबा उमाकान्त महाराज

बगैर सतगुरु मिले, तीसरी आंख नहीं खोल सकते – बाबा उमाकान्त महाराज
सतगुरु दूसरे के कर्मों को ले कर के अपने अंदर की ज्ञान अग्नि में जला देते हैं
बाबा उमाकान्त महाराज ने 9 जुलाई 2025 के सतसंग में कहा कि माँस मत खाना, अंडा मत खाना, शराब मत पीना और दूसरी औरत, दूसरे पति, मर्द के साथ, लड़के के साथ, लड़की के साथ गलत काम मत करना। बच्चे और बच्चियों ! ये याद कर लो। अगर करोगे तो सख्त सजा मिलेगी। जान करके जो गलती करता है, उसे सख्त सजा मिलती है। जब तक सेवा का फल रहता है, पूर्व जन्मों के कर्मों का फल रहता है तब तक तकलीफ महसूस नहीं होती है और जैसे ही ये खत्म होता है तैसे ही तकलीफों का अंबार खड़ा हो जाता है, पहाड़ खड़ा हो जाता है। तकलीफों का इतना बोझा आ जाता है कि आदमी उठ नहीं सकता है। पड़ जाता है चारपाई पर। तो जो बात कही जाए ये सौ टके की बात समझो आप।
तीसरी आँख के सामने कर्म आने के कारण उससे कुछ दिखाई नहीं देता है
एक आंख ऐसी है जो उन बाहरी आंखों से नहीं दिखाई पड़ती है और उसी तीसरी आंख से ऊपर के लोक दिखाई पड़ते हैं, जैसे स्वर्ग लोक, बैकुंठ लोक, इंद्र लोक, पवन लोक। लेकिन वह आंख आपकी बंद है इसीलिए उससे दिखाई नहीं पड़ता है। अब वह इसलिए बंद है क्योंकि अच्छे और बुरे जो कर्म आ गए, वे उस पर लग गए हैं और जब तक कर्म नहीं कटेगा तब तक उस आंख से कुछ दिखेगा नहीं।
दिव्य दृष्टि खुलेगी तब अंतर में जो राम का चरित हो रहा है, वह दिखाई पड़ेगा
लोगों ने बहुत कोशिश की कर्मों को काटने की। कहा गया –
“श्रुति पुरान बहु कहेउ उपाई। छूट न अधिक अधिक अरुझाई।।”
कोशिश तो बहुत की लेकिन किताबों में ही उलझते चले गए। बहुत युगों से लगे रहे उस तीसरी आंख के सामने के कर्म को हटाने के लिए लेकिन वह हटा ही नहीं। क्योंकि सतगुरु नहीं मिले, कर्मों की सफाई का उपाय बताने वाले नहीं मिले। दूसरे के कर्मों को ले कर के अपने अंदर में ज्ञान अग्नि में जलाने वाले नहीं मिले।
“कर्म फांस छूटे नहीं, केतिक करो उपाय। सतगुरु मिलें तो ऊबरे, नहीं तो भटका खाय।।”
जब वह पर्दा हटेगा, दिव्य दृष्टि खुलेगी तब अंतर में जो राम का चरित हो रहा है, वह दिखाई पड़ेगा।
“उघरहिं बिमल बिलोचन ही के। मिटहिं दोष दुख भव रजनी के॥
सूझहिं राम चरित मनि मानिक। गुपुत प्रगट जहँ जो जेहि खानिक॥”