माता के खान-पान और चाल-चलन का असर जन्म लेने वाले बच्चे पर पडता है – बाबा उमाकान्त महाराज
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माता के खान-पान और चाल-चलन का असर जन्म लेने वाले बच्चे पर पडता है – बाबा उमाकान्त महाराज
पांच तत्वों में से किसी तत्व की कमी होने पर शरीर रोगी हो जाता है।
उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने बताया कि मनुष्य का ये जो शरीर है यह पांच तत्वों से बना है – जल, पृथ्वी, अग्नि, वायु और आकाश। माँ के गर्भ में पहले रज और बीज से पिंड तैयार होता है। जन्म, अस्त, परनामी, वृद्ध, क्षीण और मृत्यु, ये छ: तरह की शक्तियाँ बच्चे को माता के गर्भ में तैयार करती हैं। ‘जन्म’ शक्ति का काम होता है रज और बीज को मिला देना। ‘अस्त’ का काम होता है उसके हिस्से अलग कर देना। ‘परनामी’ शक्ति का काम उसके ऊपर आवरण (पर्दा) लगा देना। ‘वृद्ध’ शक्ति का काम होता है उस पिंड को बढ़ा देना। इसी तरह ‘क्षीण’ शक्ति का काम होता है अंग बना देना और ‘मृत्यु’ शक्ति का काम होता है बच्चे को जन्म दे देना।
शरीर को पांचों तत्वों की जरूरत क्यों पड़ती है ?
गर्भावस्था में बहुत से तत्व बच्चे को मां से मिलते हैं और जब वह जन्म लेता है तो तब इन्हीं तत्वों की फिर जरूरत पड़ती है। इसीलिए प्रभु ने पानी, धरती, आसमान, हवा, आग यह सब बाहर भी बना दिया।इन पांचों तत्वों में से जब जिस तत्व की कमी होती है, उसी तरह से विकार शरीर में पैदा हो जाते हैं और शरीर रोगी हो जाता है।
दिव्यांग बच्चे क्यों पैदा होते हैं ?
जब ये जन्म, अस्त, परनामी, वृद्ध, क्षीण और मृत्यु शक्तियां सही काम करती हैं तो बच्चा ठीक से जन्म लेता है और ये शक्तियां अगर ठीक से काम नहीं करती है तो दिव्यांग पैदा हो जाता है।
इससे बचने के लिए क्या बताया जाता है? गर्भावस्था में माताओं का खान-पान और चाल-चलन बहुत सही होना चाहिए। तभी बच्चे ठीक से माँ के गर्भ में बन पाते हैं नहीं तो दिव्यांग पैदा हो जाते हैं।
बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम “जयगुरुदेव”
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