अन्य ख़बरें

अहंकार त्याग कर, छोटा बनकर रहने से ही प्रभु मिलता है – बाबा उमाकान्त महाराज

अहंकार त्याग कर, छोटा बनकर रहने से ही प्रभु मिलता है – बाबा उमाकान्त महाराज

दीन रहकर प्रार्थना करने से ही वो प्रभु रीझता है।

सीकर, दुजोद। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने राजस्थान के सीकर जिले के दुजोद में सतसंग एवं नामदान के कार्यक्रम में छोटे बनकर रहने के महत्व के बारे में समझाया। पूज्य बाबाजी ने कहा कि मान सम्मान को तजना (त्यागना) यह आदमी के लिए बड़ा कठिन होता है, कहते हैं,

“कंचन तजना सहज है, सहज तिरिया का नेह।
मान बड़ाई ईर्ष्या, दुर्लभ तजनी यह।।”

औरत का प्रेम ठुकरा देता है, रूपया पैसा छोड़ कर के चला जाता है, राज पाठ छोड़ कर के चला जाता है लेकिन इज्जत और सम्मान को नहीं छोड़ पाता है। सम्मान का भूत जब तक रहता है तब तक आदमी छोटा बन नहीं पाता है और जब तक छोटा नहीं बन पाता है तब तक उसको कुछ मिल नहीं पाता है।

“नानक नन्हें होए रहो, जैसे घास में दूब, और घास जल जाएगी दूब खूब की खूब”

जैसे पानी से भरे हुए घड़े के ऊपर कटोरी रखी हुई है और कटोरी कहे कि आप हमको पानी दे दो, तो क्या घड़ा पानी देगा? जब तक सिर पर कटोरी सवार रहेगी तब तक पानी नहीं मिलेगा। और जब कटोरी को ऊपर से उतार कर के नीचे रख दो तब घड़ा पानी भर देगा कटोरी में। ऐसे ही छोटा तो बनना पड़ता है और आज तक जो छोटा बना उसी को मिला, कहा गया है।

“लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूर।
चींटी चावल ले चली, हाथी मस्तक धूल।।”

इसी तरह बैसाख जेठ के महीने में जो बड़ी-बड़ी घास होती है, सब जल जाती है लेकिन दूब घास कभी भी नहीं जलती है क्योंकि जमीन में, जमीन से चिपकी हुई रहती है।

बीमारी व तकलीफों में आराम देने वाला नाम “जयगुरुदेव”

किसी भी बीमारी, दुःख, तकलीफ, मानसिक टेंशन में शाकाहारी, सदाचारी, नशामुक्त रहते हुए जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव की ध्वनि रोज सुबह-शाम बोलिए व परिवार वालों को बोलवाइए और फायदा देखिए।

Related Articles

Back to top button