हरियाणा

सतसंग में सत्य की बात बता करके, सत्य के रास्ते पर चला करके, सत्य से मिला दिया जाता है – बाबा उमाकान्त महाराज

सतसंग में सत्य की बात बता करके, सत्य के रास्ते पर चला करके, सत्य से मिला दिया जाता है – बाबा उमाकान्त महाराज

सत्य तो यह है कि सत्य से प्रेम करो, उस प्रभु (सतपुरुष) को याद करो जिसको तुम भूल रहे हो

अंबाला, हरियाणा। बाबा उमाकान्त महाराज ने 16 अगस्त 2025 के सतसंग में कहा कि सतसंग में सत्य बातें बताई जाती हैं। सतसंग में सतपुरुष के बारे में, अकालपुरुष के बारे में, सचखंड के बारे में, अनामी लोक के बारे में सिर्फ बताया ही नहीं जाता, बल्कि वहाँ तक पहुंचने का रास्ता भी बताया जाता है। अंगुलिमाल और वाल्मीकि जैसे डाकू पल भर के सतसंग से ही सुधर गए। सतसंग से हर तरह की जानकारी लोगों को मिली; जैसे किस तरह से खाया जाय, किस तरह से गृहस्थ आश्रम में रहा जाए, भाई-भाई के साथ और पिता-पुत्र के साथ कैसा बर्ताव करे, पति-पत्नी का फर्ज क्या होता है। सत्य तो वह सतपुरूष है।

और सतसंग में जब इसकी जानकारी मिलती थी कि सत्य तो यह है कि सत्य से प्रेम करो, उस प्रभु (सतपुरुष) को याद करो जिसको तुम भूल रहे हो। अच्छी बात जहाँ भी मिलती है उसको लोग सतसंग मान लेते हैं लेकिन जहाँ सत्य की बात बता करके, सत्य के रास्ते पर चला करके, सत्य से मिला दिया जाता है, वही सतसंग आदमी के काम आता है।

सतसंग से अज्ञानता खत्म हो जाती है

कहा गया “सतसंग से ही सतपथ दिखे, अज्ञान अंधियारी नाशे”
सतसंग जब मिलता है तब व्यक्ति को ज्ञान हो जाता है और वह विद्वान हो जाता है। उसको उस विद्या का ज्ञान हो जाता है, जिसको आध्यात्मिक विद्या या पराविद्या कहते हैं और जिसको इस विद्या का ज्ञान हो जाता है उसको दुनिया की सारी विद्या का ज्ञान हो जाता है। फिर कोई और विद्या सीखने की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

आप सोचो कि कबीर साहब, गोस्वामी जी, पलटू, दादू, मीरा, नानक साहब, शिवदयाल जी महाराज, गरीब साहब; यह सब कोई भी डिग्री ले कर के नहीं आए थे, लेकिन बड़े-बड़े डिग्री होल्डर इनकी बातों पर रिसर्च कर रहे हैं।

तो जब पराविद्या का ज्ञान हो जाता है तब यह विद्या उसके सामने नगण्य हो जाती है। पराविद्या का ज्ञान होने पर अज्ञानता खत्म हो जाती है और जो अज्ञानता से ज्ञान प्राप्त कर लेता है वही विद्वान कहलाता है।

सतसंग से आवागमन छूटता है

सतसंग से आवागमन छूटता है। आवागमन का मतलब यह होता है कि दुनिया में आए और वापस चले गए। दुनिया में बहुत बार आदमी पैदा होता है और बहुत बार मरता है, और यह भी पता नहीं रहता है कि हम पिछले जन्म में कहाँ थे? तो जन्मना और मरना; यही है आवागमन।

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