मध्यप्रदेश

CG – बगैर साधक समाज बनाए हुए लोगों की दुख-तकलीफ जाने वाली नहीं है – बाबा उमाकान्त महाराज

बगैर साधक समाज बनाए हुए लोगों की दुख-तकलीफ जाने वाली नहीं है – बाबा उमाकान्त महाराज

17 मई से 22 मई के अखण्ड साधना शिविर में लोगों को उम्मीद से ज्यादा मिला

उज्जैन। मध्याह्न की बेला, आश्रम उज्जैन पर अखण्ड साधना शिविर के समापन पर बाबा उमाकान्त महाराज ने कहा कि यह शिविर 17 तारीख को लगभग सुबह 11.35 पर शुरू हुआ था। आज थोड़ी देर और बैठाया गया और 12 बजे इसका समापन हो गया। इसमें बहुत तरह के अनुभव आए। जिसका जैसा प्रेम और भाव-भक्ति रही, उसके हिसाब से दाता ने, गुरु ने देने में कोई कसर नहीं रखी और उम्मीद से ज्यादा लोगों को मिला। और ये शिविर जो जगह-जगह लगाये गये, उसमें भी दिया उन्होंने। दाता का बड़ा लंबा हाथ है, देने वाले का बड़ा लंबा हाथ है।

“दाता केवल सतगुरु, देत न माने हार”
लेकिन हम लोग पामर जीव गुरु से ले नहीं पाते हैं।

शिविर में लगातार 53 घंटा व उससे ज्यादा समय तक बैठे लोग भी दिखे

जिनको उम्मीद भी नहीं थी, जो सोच नहीं पा रहे थे कि हम इतनी देर बैठ पाएंगे और दस-दस घंटा बैठे रहे। जिनका दो घंटा बैठ पाना भी मुश्किल होता था, वे 24-24 घंटा बैठ गए। 53 घंटा की रिपोर्ट भी आई और उससे भी ज्यादा समय तक एक ही आसन पर, एक जगह पर बैठने वाले भी आपको मिल जाएंगे। तो इतनी देर बैठना और होश-हवास नहीं है, क्योंकि सिर्फ शरीर ही जमीन पर है, आत्मा ऊपरी लोकों में घूम रही है। अब आपको इसलिए बता रहा हूं कि जिनको कुछ नहीं मिला, आप लोगों के अंदर इच्छा तो जगनी चाहिए कि मिल सकता है, यह कोई कल्पना नहीं है। यह चीज मिलती है जो कि लेने और देने वाले पर निर्भर करती है; जो ले पाता है वह ले पाता है। जैसे बरसात जब होती है तो जो पानी इकट्ठा कर लेता है उसको मिल जाता है और नहीं तो पानी बह जाता है, ऐसे ही दया भी निकल जाती है। तो आप दया लेने की इच्छा लाओ, संकल्प शक्ति बनाओ। उस संकल्प को गुरु पूरा करते हैं।

साधक समाज बनाना पड़ेगा

साधक समाज बनाना पड़ेगा। बगैर साधक समाज बनाए हुए यह जो रोना-धोना है, दुख-तकलीफ है, यह जाने वाली नहीं है। घर का झगड़ा-झंझट है, एक-दूसरे का विरोध है, बात नहीं मानते हैं, सुख और शांति के लिए सब कुछ करते हैं लेकिन वह उनका बर्बाद जा रहा है, इसके लिए साधक समाज बनाने की जरूरत है। अगर साधक समाज बन जाएगा तो इसी से सब काम बन जाएगा। साधक समाज बनाओ। कैसे बनेगा? कौन बनाएगा? अकेला तो कोई नहीं बना सकता, दो चार पांच आदमी भी नहीं बना सकते। साधक समाज कौन बनाएगा, जितने लोगों ने साधना की, सब मिलकर के बनाएंगे।

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