सुरत शब्द योग साधना ही जीवात्मा को शब्द प्रभु से जोड़ने का असली रास्ता है – बाबा उमाकान्त महाराज

सुरत शब्द योग साधना ही जीवात्मा को शब्द प्रभु से जोड़ने का असली रास्ता है – बाबा उमाकान्त महाराज
24 घंटे की अखण्ड साधना; घाट की साधना का पांचवां चरण, 5 जुलाई से शुरू होगा
उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने घाट की साधना के चौथे चरण के समापन पर सतसंग में कहा कि दाता दयाल, कृपा निधान; गुरु महाराज की दया से 24 घंटे की साधना शिविर आज उज्जैन आश्रम पर, मध्यान्ह की बेला में समाप्त हो गया। उज्जैन आश्रम के अलावा भी जहां-जहां व्यवस्था हो सकती थी, वहां सब जगह यह लगाया है। गुरु पूर्णिमा से पहले जो पांच 24 घंटे की साधना शिविर लगाने का आदेश था, उसमें से अब एक और लगानी रह गई है, उसको 5-6 जुलाई को लगा लिया जाएगा। उसके बाद में गुरु पूर्णिमा आ जाएगी, तो वहां का भी आपको मालूम हो जाएगा कि वहां कैसे, क्या करना रहेगा।
जो साधना करते हैं, उनको गुरु की दया का भान हो जाता है
साधना करने का और कराने का जो रास्ता है, वह असली रास्ता है। यह सुरत (जीवात्मा) को शब्द से जोड़ने और जुड़वाने का रास्ता है। जो लोग यह साधना करते हैं, उनको गुरु महाराज दया भी देते हैं, अब वह दया तो जिसको मिलती है वही जानता है, लेकिन दया मिलती है सबको है। किसी ना किसी तरह से उनको यह भान हो जाता है, जानकारी हो जाती है कि गुरु की दया हमारे ऊपर हो रही है, दया जारी हो गई है।
सभी नामदानियों को गुरु की दया का अनुभव कराने की जरूरत है
जो इस चीज का अनुभव नहीं कर पाएं हैं कि गुरु कौन होते हैं, गुरु में कितनी शक्ति होती है और गुरु की दया कैसी होती है, तो जिनको भी गुरु की दया का अनुभव हो गया है, अब यही अनुभव उनको भी कराने की जरूरत है। उनको जानकारी कराने की जरूरत है, जिनको अभी तक नहीं हो पाया है। जैसे बाढ़ आती है, ऐसे ही नामदान लेने के लिए लोग उमड़ते हैं जगह-जगह पर, लेकिन नामदान लेने के लिए कम लोग आए और सुनने के लिए ज्यादा आए। अब, जब नाम रूपी रत्न लुट रहा था तो वह उनकी भी झोली में पड़ गया, उन्होंने भी नामदान सुन लिया। तो उन लोगों को भी अब दया का अनुभव कराने की जरूरत है।