मध्यप्रदेश

हिंदी नव वर्ष (गुड़ी पड़वा) के शुभ दिन पर, कभी भी जीव हत्या नहीं करने का संकल्प बनाओ – बाबा उमाकान्त महाराज

हिंदी नव वर्ष (गुड़ी पड़वा) के शुभ दिन पर, कभी भी जीव हत्या नहीं करने का संकल्प बनाओ – बाबा उमाकान्त महाराज

जब धर्म का ह्रास होता है तब भारतवर्ष में कोई ना कोई महापुरुष आकर अधर्मियों का विनाश करते हैं और इसीलिए भारत पूरे विश्व का हृदय माना जाता है

उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने गुड़ी पड़वा के पावन अवसर पर बताया कि गुड़ी पड़वा साल में एक बार और नवरात्र साल में दो बार आती है। अंग्रेजी तिथि के अनुसार तो एक जनवरी को नया वर्ष मना लिया गया, लेकिन हिन्दी सम्वत के अनुसार आज नया वर्ष शुरू हुआ है। सम्वत का आविष्कार इसी दिन हुआ था। राजा विक्रमादित्य ने ही सम्वत का अविष्कार किया था। महाराष्ट्र, केरल, आंध्र और उस तरफ बड़े जोर शोर से गुड़ी पड़वा मनाते हैं। गुड़ी पड़वा का पौराणिक इतिहास है, पौराणिक किसे कहते हैं? चार वेद सबसे पहले बनाए गए। संस्कृत में आयतें (आकाशवाणी- वेदवाणी) उतरी थी। वेदों में सारे नियम और कानून मनुष्य के लिए लिखे हुए हैं कि किसका क्या काम है, प्रकृति की चीजों को कैसे प्राप्त कर सकते हैं और सुखी रह सकते हैं। लेकिन जब लोग उसको समझ नहीं पाए तो कुछ समय बाद वही वेदों का पुराण बन गया। पुराणों में तीज – त्यौहार का महत्व व मनुष्य जीवन तथा मरने के बाद क्या होता है, लिखी गई है।

पौराणिक कथा के अनुसार आज ही के दिन भगवान राम ने विजय पताका लहराया था

पौराणिक कथा के अनुसार आज ही के दिन भगवान राम ने विजय पताका लहराया था, जहाँ बालि राज्य करता था। बालि अत्याचारी था, अन्यायी था एवं इंद्रियों के सुख में अपना और पराया नहीं देखता था; तो मर्यादा का उल्लंघन कर देता था, इसीलिए भगवान राम ने उसको मारा था। बालि बहुत वीर था, उसको वरदान प्राप्त था कि जो भी उससे लड़ाई करेगा, उसकी आधी शक्ति उसके पास आ जाएगी, तो कौन जीत पाता उससे? लेकिन जब लोग दुखी होते हैं, मानवता जाने लगती है, धर्म का ह्रास होता है, तब इस भारतवर्ष में कोई ना कोई महापुरुष आते ही हैं, उसका विनाश करते हैं और इसीलिए भारत पूरे विश्व का हृदय माना जाता है। तो भगवान राम ने बालि को छिपकर मारा था। और भी पौराणिक कथाएं मिलती है कि आज के दिन कई शुभ काम लोगों ने किए थे; विजय मिली थी। तो आज का दिन नए वर्ष का शुभ दिन माना जाता है। लोग इस दिन पूजा पाठ करते हैं ताकि उनका यह नया साल विजय से भरा रहे।

आप लोग जीव हत्या मत करना और जीव के मांस को मत खाना

आप लोग जीव हत्या मत करना और जीव के माँस को मत खाना। कोई भी पशु हो, पक्षी हो उसके माँस को आप मत खाना। चाहे ज़मीन पर चलने वाले पशु हों, जानवर हों, कीड़े-मकोड़े हों या अन्य उड़ने वाले पक्षी हों, जल के जीव हों किसी को मार कर के या मारे हुए को खरीद कर के उसका मांस मत खाना। इस बात का आज आप गुड़ी पड़वा (नव वर्ष) के शुभ दिन पर संकल्प बनाओ कि जिससे हमारा साल अच्छा बीते।

Related Articles

Back to top button