मध्यप्रदेश

गुरु महाराज की दया से 2025 की गुरु पूर्णिमा जयपुर, राजस्थान में होगी – बाबा उमाकान्त महाराज

गुरु महाराज की दया से 2025 की गुरु पूर्णिमा जयपुर, राजस्थान में होगी – बाबा उमाकान्त महाराज

गुरु पूर्णिमा के कार्यक्रम पर साधना करने का, अंतर में गुरु एवं पीछे जो महापुरुष आए, उनके दर्शन का मौका मिलेगा

उज्जैन। बाबा उमाकान्त महाराज ने 20 जून 2025 के सतसंग में आगामी गुरु पूर्णिमा कार्यक्रम के बारे में बताते हुए कहा कि गुरु महाराज की दया से यह निश्चित हो गया है कि 2025 की गुरु पूर्णिमा राजस्थान की राजधानी जयपुर में होगी। यह कार्यक्रम घोषित रूप से तीन दिन का चलेगा। एक दिन पहले लोग आ जाते हैं, एक दिन बाद तक रहते हैं, तो कुल मिलाकर के पांच दिन हो जाता है। यह जयपुर से जो अजमेर को सड़क जाती है, उसी मेन रोड पर आश्रम है जो ठिकरिया मुकाम कहलाता है, उसी आश्रम के पास में काफी बड़ी जमीन है, वहाँ पर होगा। तो आप सभी संगत के लोगों को यह सोचना चाहिए कि हमारे गुरु महाराज की गुरु पूर्णिमा है, हमको गुरु महाराज का पूजन का मौका मिलेगा। हमको महापुरुषों की उपस्थिति में गुरु की दया लेने का अवसर मिलेगा। हमको भजन-ध्यान करके गुरु का दर्शन, पिछले दिनों में जो महापुरुष आए, जिनका आव्हान किया जाएगा, हमको विश्वास है, वे वहां आयेंगे; उनका दर्शन अंतर में करने का मौका मिलेगा। तो आप लोग तैयारी करो।

अपनी-अपनी व्यवस्था के हिसाब से चलना है।

सबको अपनी-अपनी व्यवस्था के हिसाब से चलना है तो थोड़ा-बहुत खाने-पीने के लिए ऐसी चीजें रख लेनी हैं जो सूखी चीज हैं, कई दिन तक खराब न हों। जरूरत पड़ने पर समय से भोजन न मिल पावे तो उन्हीं चीजों को खा करके, पानी पी करके आप काम में लग जाओ, चाहे भजन हो या सेवा हो; कमजोरी उसमें न आए। यही बिछाने वाला तिरपाल जिसे कोई मोमजामा कहता है, कोई प्लास्टिक कहता है, कोई इंग्लिश में पॉलीथिन कहता है; वह मोटा भी आता है, पतला भी आता है। पतला तो एक-एक हर किसी को अपने बैग, झोला में रख लेना चाहिए। बड़े काम की चीज है, कहीं भी बिछा लो; बरसात का मौसम है जब बारिश आ जाए तो ओढ़ लो, ठंडी लगे तो ओढ़ लो, कपड़े भीग जाए बारिश में तो उसी में लपेट लो।

जो छोटी-बड़ी सेवा करने में कोई संकोच नहीं करते हैं, वही आगे तरक्की कर जाते हैं

सीखने की इच्छा जब रहती है, करने की जब इच्छा रहती है नौजवानों की, तब वे सब सीख जाते हैं,
“कर ले निज काज जवानी में, इस दो दिन की जिंदगानी में”
उन नौजवानों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है जो शुरू से ही आरामतलब हो जाते हैं। जो सेवादार हो जाते हैं, सेवा का भाव हो जाता है, छोटी-बड़ी सेवा करने में कोई संकोच नहीं करते हैं, वही आगे तरक्की कर जाते हैं, उन्नति कर जाते हैं। और जो बड़े आदमी बनने का घमंड रखते हैं, ज्यादा पढ़-लिख लेने का घमंड रखते हैं, अपनी सुंदरता का, कपड़े-लत्ते का घमंड रखते हैं, वे सब जगह पिछड़ी ही लाइन में रहते हैं, तरक्की उतनी नहीं कर पाते हैं।

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