CG – उदईबंद अमलडीहा में बड़े उत्साह के साथ किया गया भोजली विसर्जन इस त्यौहार और इसकी परम्परा क़ो लेकर क्या बोलें सरपंच पति किरण पटेल जानें पढ़े पूरी ख़बर
पचपेड़ी//मस्तूरी जनपद के ग्राम पंचायत अमलडीहा उदईबंद में भोजली विसर्जन किया गया जहां गाँवो के अधिकांश लोगों नें भाग लिया इस दौरान युवक युवती बुजुर्ग नौजवान सभी में भारी उत्साह नजर आया लगभग सभी घरों से भोजली सिर में उठाये विसर्जन के लिए लेकर लोंग अपने अपने घरों से निकले यहाँ साथ ही मोहल्ला के हिसाब से ग्रुप तैयार किया गया था जिसमें सबसे अच्छा भोजली वाले क़ो प्रथम इनाम 601 द्वितीय 501,क्रमशः 401,301,201,101 सरपंच द्वारा पुरस्कार दिया गया
सरपंच पती किरण पटेल…
बताते है की भोजली त्यौहार मनाने के लिए नागपंचमी के दिन सुबह गेहूं और ज्वार को भिगोया जाता है.शाम को बांस के एक टोकरी में मिट्टी और खाद डाल कर उसमे गेहूं बीज को डाला जाता है.5 दिन बाद भोजली बाहर निकल कर आता है और रक्षा बंधन के अगले दिन विसर्जन किया जाता है.पहले के लोग कहते थे कि जितनी बड़ी भोजली रहेगी,उतना ही अच्छा फसल होगा।
उन्होंने आगे बताया की भोजली का पर्व उत्साह के साथ मनाया गया.भोजली का त्यौहार सिर्फ मित्रता का ही उत्सव नहीं है, बल्कि नई फसल की कामना के लिए गांवों में यह त्योहार मनाया गया. जिले के ग्रामीण इलाकों मेंमहिलाएं एक- दूसरे को भोजली का दूब भेंट कर जीवन भर मित्रता का धर्म निभाने का संकल्प लेती हैं. भोजली त्यौहार के मौके पर महिलाएं और युवतियों ने भोजली की टोकरियां सिर पर ररखकर तालाब किनारे पहुंची और)विसर्जन किया गया. सभी पारंपरिक रस्मों के साथ तालाब में भोजली का विसर्जन किया गया।
कान में भोजली खोंस कर मितानी के अटूट बंधन में बंधने का पर्व भोजली तिहार 10 अगस्त को मनाया गया. छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक वैभव के प्रतीक भोजली पर्व की अपनी महत्ता है.अमलडीहा उदईबंद तालाब सहित जिले व गांव में नदी,में भी भोजली विसर्जन की परम्परा है.भोजली विसर्जन के बाद इसके ऊपरी हिस्से को बचा कर रख लिया जाता है.जिसे लोग एक-दूसरे के कानों में खोंच कर भोजली,गियां, मितान,सखी,महाप्रसाद,मितान,दीनापान बदते हैं.