Bihar News- बिहार चुनाव 2025: रुद्र रिसर्च का ओपिनियन पोल जारी, जानिए किसे मिल सकती है बढ़त…

बिहार : बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। एनडीए गठबंधन से लेकर महागठबंधन तक चुनावी तैयारियों में लगे हुए हैं। ऐसे में हाल ही में हुए रुद्र रिसर्च एंड एनालिटिक्स ने एक ओपिनियन पोल जारी किया है। इस ओपिनियन पोल में बिहार में किसकी सरकार बन सकती है?
मुख्यमंत्री के लिए जनता की पहली पसंद कौन है? किस पार्टी को कितनी सीटें मिलने का अनुमान है? इन सभी संभावनाओं पर सर्वे किए गए हैं। रुद्र रिसर्च एंड एनालिटिक्स द्वारा किए गए एक ओपिनियन पोल ने राज्य की राजनीति में संभावित बदलावों की ओर इशारा किया है। ओपिनियन पोल में बिहार की राजनीति में बदलाव की संभावना दिख रही है।
1. बिहार विधानसभा सीटों पर संभावित प्रदर्शन, किस पार्टी को कितनी सीटों को अनुमान?
- राष्ट्रीय जनता दल (RJD): 28%
- भारतीय जनता पार्टी (BJP): 25%
- जनता दल यूनाइटेड (JDU): 16%
- कांग्रेस (INC): 7%
- लोक जनशक्ति पार्टी (LJP): 5%
- अन्य दल (जनसुराज, वाम दल, VIP, हम आदि): 16%
- उत्तर नहीं दिया: 3%
इस आंकड़े से संकेत मिलता है कि RJD को बढ़त मिल सकती है, जबकि BJP और JDU को पिछली बार की तुलना में कम समर्थन मिल सकता है।
2. मौजूदा नीतीश कुमार की सरकार से क्या जनता संतुष्ट है?
- संतुष्ट: 42%
- कुछ-कुछ संतुष्ट: 16%
- असंतुष्ट: 40%
- कह नहीं सकते: 2%
यह दिखाता है कि जनता का एक बड़ा हिस्सा मौजूदा सरकार से संतुष्ट नहीं है।
3. RJD नेता तेजस्वी यादव के प्रति जनता की राय?
- संतुष्ट: 45%
- कुछ-कुछ संतुष्ट: 12%
- असंतुष्ट: 39%
- कह नहीं सकते: 4%
तेजस्वी यादव के प्रति संतुष्टि का स्तर मौजूदा सरकार से थोड़ा ज्यादा है, जो उनके लिए सकारात्मक संकेत हो सकता है।
4. बिहार मुख्यमंत्री पद के लिए पसंदीदा उम्मीदवार?
- तेजस्वी यादव: 35%
- नीतीश कुमार: 25%
- चिराग पासवान: 16%
- सम्राट चौधरी: 8%
- प्रशांत किशोर: 7%
- इनमें से कोई नहीं: 7%
- उत्तर नहीं दिया: 2%
यह आंकड़ा दिखाता है कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री पद के लिए जनता की पहली पसंद बनकर उभर रहे हैं। यहां आपको ये जान लेना जरूरी है कि ओपिनियन पोल के आंकड़ों पर बहुत ज्यादा भरोसा नहीं किया जा सकता है क्योंकि ये चुनाव के कुछ महीने पहले कराए जाते हैं। इसमें शामिल होने वाली जनता अपना मूड वर्तमान स्थिति को देखते हुए बताती है…जो चुनाव के करीब आते-आते बदल भी जाते हैं। चुनाव तक कई बदलाव संभव हैं और अंतिम निर्णय जनता के वोट पर निर्भर करेगा। उसके अलावा ओपिनियन पोल के लिए किए सर्वे का सैंपल साइज क्या है, ये भी बहुत जरूरी होता है।