Bihar News: बिहार चुनाव से पहले नीतीश सरकार की बड़ी सौगात, घरेलू उपभोक्ताओं को मिल सकती है 100 यूनिट तक फ्री बिजली….

बिहार: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। इस चुनावी साल में सरकार ने राज्य के लोगों को लिए एक बड़ी सौगात देने की तैयारी कर ली है। बिहारवासियों को जल्द ही 100 यूनिट तक बिजली फ्री देने की तैयारी है।
नीतीश सरकार का ये फैसला राज्य के लोगों को बड़ी राहत प्रदान कर सकता है। ऊर्जा विभाग की इस योजना का लाभ सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए ही मिलेगा।
बिहार में कब लागू होगी फ्री बिजली योजना?
दरअसल, ऊर्जा विभाग ने इस योजना का मसौदा तैयार कर लिया है, जिसे वित्त विभाग की मंजूरी मिल चुकी है। अब राज्य मंत्रिपरिषद की स्वीकृति मिलने के बाद यह योजना लागू कर दी जाएगी।
बिहार में अब बिजली का बिल होगा जीरो?
विभाग ने लोगों को 100 यूनिट तब मुफ्त बिजली देने की योजना तैयार की है। ऐसे में अगर आप 100 यूनिट से अधिक बिजली का उपयोग करते हैं तो उसके लिए आपको चार्ज देना होगा। इस प्रस्ताव के कैबिनेट में पास होते ही लोगों को लाभ मिलने लगेगा।
हर महीने लगभग 750 रुपए तक की बचत
इस प्रस्ताव पर कैबिनेट की मुहर लगने के बाद शहरी इलाकों के लोगों को हर महीने लगभग 750 रुपए तक की बचत हो सकती है। फिलहाल, शहरी क्षेत्रों में बिजली की दर 7.57 रुपए प्रति यूनिट है। लेकिन अगर सरकार से अनुदान (Grant) मिलता है, तो यह दर घटकर करीब 4.52 रुपए प्रति यूनिट हो जाएगी।
सरकार ने ग्रामीण इलाकों में भी राहत का प्लान तैयार कर लिया है। कुटीर ज्योति योजना के तहत आने वाले उपभोक्ताओं को 1.97 रुपए प्रति यूनिट और बाकी घरेलू उपभोक्ताओं को 2.52 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली मिल सकती है।
और क्या मिल सकती हैं राहतें?
चर्चा है कि सरकार कृषि क्षेत्र के उपभोक्ताओं को भी अतिरिक्त राहत देने पर विचार कर रही है। बता दें कि देश के कई राज्य पहले ही अपने नागरिकों को इस तरह की सौगात दे चुके हैं।
दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (10 जुलाई) को बिहार में चुनाव आयोग (ECI) द्वारा की जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन आधार कार्ड, वोटर आईडी और राशन कार्ड को दस्तावेज के रूप में मान्य करने पर विचार करने की सलाह दी है।
क्या है पूरा मामला?
ECI की इस नई प्रक्रिया के तहत 2003 के बाद रजिस्टर्ड सभी मतदाताओं को जन्म तिथि और/या जन्म स्थान का प्रमाण देना जरूरी कर दिया गया है, ताकि नागरिकता की पुष्टि हो सके।
इस शर्त को लेकर बिहार में राजनीतिक दलों का कड़ा विरोध देखने को मिल रहा है। विपक्ष का आरोप है कि इससे बड़ी संख्या में मतदाता सूची से नाम कट सकते हैं। कई लोगों में भ्रम की स्थिति है कि पहले से वोटर लिस्ट में नाम होने के बावजूद उन्हें फिर से दस्तावेज देने होंगे।