बिहार

Bihar News: ‘मेडल लाओ-नौकरी पाओ’ योजना में 201 खिलाड़ियों के आवेदन हुए रिजेक्ट, अब मिलेगा दोबारा मौका….

पटना। बिहार सरकार की मेडल लाओ-नौकरी पाओ योजना के तहत नौकरी के लिए आवेदन करने वाले 201 खिलाड़ियों के आवेदन रिजेक्ट हो चुके थे। हालांकि, इन खिलाड़ियों को अब 15 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है ताकि वे अपनी आपत्तियां दर्ज करा सकें। आवेदनकर्ताओं को सामान्य प्रशासन विभाग की वेबसाइट पर जाकर आपत्ति दर्ज करनी होगी। इसके बाद आवेदन की फिर से समीक्षा की जाएगी और यदि आपत्ति सही पाई गई तो नौकरी मिलने के अवसर मिलेंगे।

88 खिलाड़ियों को मिली नौकरी

बिहार राज्य खेल प्राधिकरण के महानिदेशक रविंद्रन शंकरण ने बताया कि वर्ष 2024-25 में राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों से वेब पोर्टल के माध्यम से आवेदन मांगे गए थे। कुल 502 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 88 खिलाड़ियों का नाम मेरिट लिस्ट में शामिल कर नौकरी दी गई। वहीं, 212 आवेदन अभी प्रक्रियाधीन हैं, जिनमें ड्रैगन बोट, ताइक्वांडो, हैंडबॉल, जुजुत्सु, शैंबो रेसलिंग, कराटे और पेंचकसीलाट जैसे खेल शामिल हैं। जैसे ही इन खिलाड़ियों के आवेदन क्लियर होंगे, उनका नाम भी मेरिट लिस्ट में शामिल किया जाएगा।

नौकरी देने की नीति शुरू की

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खेल को बढ़ावा देने और खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए खेल कोटे से नौकरी देने की नीति शुरू की। 2010 से अब तक कुल 342 खिलाड़ियों को इस योजना के तहत सरकारी नौकरी मिली है। इसमें 2010 में 33, 2011 में 125, 2015 में 82, और 2020 में 31 खिलाड़ियों को लिपिक वर्ग की नौकरियां दी गई हैं।

सीधे नियुक्ति का मौका

खेलों के प्रति युवाओं की रुचि बढ़ाने के लिए बिहार सरकार ने ‘बिहार उत्कृष्ट खिलाड़ियों की सीधी नियुक्ति नियमावली 2023’ लागू की है। इसके तहत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को बिना परीक्षा या इंटरव्यू के विभिन्न सरकारी विभागों में नौकरी दी जाएगी। वर्ष 2023-24 में 71 उत्कृष्ट खिलाड़ियों को नौकरी मिली, जिनमें 21 खिलाड़ी सब-इंस्पेक्टर बन गए। इस नए नियम के तहत प्रदर्शन बेहतर करने पर खिलाड़ियों को SDO और DSP जैसे पदों तक पहुंचने का अवसर भी मिलेगा।

प्रोत्साहन का बड़ा कदम

इस योजना से बिहार में खेलों का स्तर ऊंचा उठाने के साथ-साथ युवाओं में खेलों को लेकर उत्साह बढ़ा है। सरकारी नौकरी के मिलने से खिलाड़ी मानसिक रूप से मजबूत होकर बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। खेल और रोजगार को जोड़ने वाली यह नीति राज्य सरकार की खेल संवर्धन की एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में देखी जा रही है।

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