जन्मदिन विशेष (01 जुलाई) : यमराज मित्र का साक्षात्कार : सुधीर

जन्मदिन विशेष (01 जुलाई) : यमराज मित्र का साक्षात्कार
गोण्डा (उत्तर प्रदेश)। अब यह तो आपको भी पता चल ही गया कि आज (01 जुलाई) मेरा जन्मदिन है। हालांकि ये कोई विशेष बात नहीं है। हर किसी का एक निश्चित दिन जन्मदिन होता ही है। पर इस वर्ष का जन्म दिन मेरे लिए कुछ खास तो है ही। क्योंकि आज मेरे प्रिय मित्र यमराज खाली पीली जन्मदिन की बधाई देने के साथ मेरा साक्षात्कार लेने पर अड़ गये। मैंने उसे समझाने का प्रयास कि कौन सा मैं कोई बड़ा/प्रतिष्ठित व्यक्ति हूँ, वैसे भी तुझे पता ही है कि मेरा व्यक्तित्व कितना आड़ा टेढ़ा है, जो कितने लोगों को पसंद आता है, मुझे भी नहीं पता।
यमराज मनुहार करने लगा, प्रभु बेवजह मुझसे पीछा मत छुड़ाओ। मेरा पहला साक्षात्कार है, अब आप कुछ कहो तो मैं आपको बता दूँ कि पत्रकारिता के क्षेत्र में घुसना चाहता हूँ। ऐसे में मेरी इच्छा है कि शुरुआत आपसे ही करूँ। क्योंकि आप मेरे मित्र ही नहीं शुभचिंतक भी हैं। फिर वैसे भी इतनी आसानी से मुझे भला कौन साक्षात्कार देने को तैयार होगा?
अब आपको तो पता ही होगा कि यमराज से मेरा कितना लगाव है। इसलिए थक हार कर मैं तैयार हो ही गया।
यमराज ने प्रश्नों की श्रृंखला शुरू करने से पहले चाय की फरमाइश भी कर दी और फिर पूरी तरह मूड में आ गया।
यमराज – यदि आपका साक्षात्कार लेकर प्रसारित भी न हो, तो आप क्या करेंगे ?
यमराज मित्र – तुझे दावत पर बुलाकर सम्मानित करूँगा।
यमराज – आप लिखते हो, यह कोई विशेष बात नहीं, लेकिन मुझे अपनी लेखनी में क्यों घसीटते हैं?
यमराज मित्र – अपना भौकाल बनाने और दुश्मनों को डराने के लिए।
यमराज (आश्चर्य से)- आपके भी दुश्मन हैं?
यमराज मित्र – हाँ, अब गिनती मत पूछना। आज का जमाना ही ऐसा है कि कोई सच सुनना नहीं चाहता। और मैं ठहरा मुँहफट, अच्छा बुरा सब कुछ मुँह पर बक देता हूँ। अब ऐसे में अपवादों को छोड़ कर कौन मुझे सम्मान देगा।वो तो इसी जुगाड़ में रहता कि कब मौका मिले और वो मुझे सूत दे।
यमराज – सुना है कि आपने अपनी पहली पुस्तक का नाम ‘यमराज मेरा यार’ रखा है। ऐसा क्यों?
यमराज मित्र – इसमें क्यों की पूँछ कहाँ से आ गई? अरे दुनिया जानती है कि तू मेरा यार है। तो तेरा भी तो जलवा होना चाहिए। धरती ही नहीं यमलोक में भी मेरे यार की भी चर्चा होनी चाहिए। हम दोनों का साथ-साथ मान सम्मान घटना -बढ़ना चाहिए।
यमराज – आपकी भविष्य की क्या योजना है?
यमराज मित्र – कुछ भी नहीं, पर लेखन करते हुए ही यमलोक तेरे साथ चलूँगा, यह वादा है।
यमराज – आपको अब तक मिले विशेष पुरस्कार कौन – कौन से हैं?
यमराज मित्र – वैसे तो मैं सम्मानों की चाह नहीं रखता, पर धरती के उपेक्षित सम्मानों पर मेरा ही कापीराइट है।
यमराज – क्या आप साहित्य का नोबल पुरस्कार पाने की इच्छा रखते हैं?
यमराज मित्र – तुम भी यार! क्या बात करते हो, इच्छा भी रखूँ तो इतने छोटे सम्मान की। वैसे भी नोबल पुरस्कार मेरे लिए कोई मायने नहीं रखता। तुझे चाहिए तो बता, दिला देता हूँ। नोबल देने की सिफारिश करने वाली कमेटी में अपना खूब जलवा है।
यमराज – जन्मदिन मनाने की बीमारी पर क्या कहेंगे?
यमराज मित्र – यह बीमारी नहीं महामारी है, हमारे जीवन का जब एक वर्ष कम हो जाता है, तब भी हम अपने मुँह मियां मिट्ठू बन बड़ा उछल कूद कर घमंड में चूर दिखते हैं। लेकिन दूसरे दृष्टिकोण से मैं इसे जीवटता है कहूँगा।
यमराज – फिलहाल एक बार फिर से मेरी बधाइयां शुभकामनाएं लेकर बताइए, कितनी ईमानदारी होती है आम लोगों की ऐसे अवसर पर मिलने वाली शुभेच्छाओं में?
यमराज मित्र – कोई ईमानदारी नहीं। अपवादों को छोड़कर अधिसंख्य बधाइयां शुभकामनाओं की आड़ में लोग सिर्फ बद्दुआ ही देते हैं और चाहते हैं कि कितना जल्दी आप बर्बाद हो जायें, लाइलाज बीमारी का शिकार हो जायें, भूखे,नंगे बेरोजगार रहे, बीबी के लात-घूंसे रोज खाते रहें, मानसिक तनाव से जूझते रहें, और समय से काफी पहले तेरे साथ यमलोक चले जायें।
यमराज – आप जन मानस को क्या संदेश देना चाहेंगे?
यमराज मित्र – काहे तू मुझे पिटवाना चाहता है। तू मेरा यार है, क्या यह कम है? बस इतना ही निवेदन करता हूँ।सब स्वतंत्र होकर जो भी जी में आए जमकर मनमानी करते रहें। मान सम्मान की चिंता छोड़कर कर अपने स्वार्थ के सारे काम पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करें। ऐसे लोगों के लिए यमलोक में विशेष सम्मान समारोह का आयोजन निकट भविष्य में किया जाना प्रस्तावित है। जिसका संयोजक मैं और आयोजक तू होगा।
यमराज – एक निजी सवाल? क्या आप जन्मदिन पर डिनर के लिए यमलोक चल सकते हैं?
यमराज मित्र – क्या यार! इतना अविश्वास है तुझे। तेरी प्रतिष्ठा की बात हो, तो अभी चल दूँ, 15 फरवरी को अपना वैवाहिक वर्षगांठ भी वहीं तुम सबके साथ मनाकर लौट आऊँगा। ये तो तूने बताया ही नहीं कि मुझे अकेले ही डिनर करायेगा या एक पर एक फ्री में भौजाई को भी बुलाएगा।
यमराज हड़बड़ाया और खड़ा हो गया। बस प्रभु! अब विदा लेता हूँ। आपको पता है कि मैं सिर्फ भौजाई से ही डरता। आप पिटवाओगे क्या? मित्रता पर सेंसर लगवाओगे क्या? यार से दुश्मनी निभाओगे क्या? फिलहाल मैं चलता हूँ। मेरा केक यमलोक भिजवा देना। धन्यवाद नमस्कार, शुभकामनाएं यहीं छोड़े जा रहा हूँ, संभालते रहना, बाद में शिकायत नहीं करना।
इतना कहकर यमराज फुर्र हो, यह भी नहीं बताया कि यह साक्षात्कार कहाँ छपेगा। पीडीएफ मिलेगा या वो भी उसी की तरह हवा में ही रहेगा।
फिलहाल आप लोगों में कुछ शर्म लिहाज, जज़्बात, मानवता, आत्मीयता है तो कम से कम बेमन से ही सही बधाइयां, शुभकामनाएं, स्नेह आशीर्वाद तो दे दो, उसके बाद चाहे चुल्लू भर पानी में डूबकर मर जाओ। यमराज अपना यार है, उसकी मेजबानी का आनंद उठाओ। धन्यवाद लो और घर जाओ, आवारागर्दी करते हुए शर्म नहीं आती, तो बीबी से बेलन की मार खाओ और भीगी बिल्ली बन चैन की बंशी बजाओ। शुभेच्छाओं के साथ मुफ्त का धन्यवाद बतौर उपहार ले जाओ।
सुधीर श्रीवास्तव (यमराज मित्र)
गोण्डा उत्तर प्रदेश
8115285921