छत्तीसगढ़

CG – 32 कांग्रेस विधायक सस्पेंड : विधानसभा में हंगामा, नारेबाजी के करते हुए गर्भगृह में घुसा विपक्ष, कांग्रेस विधायक हुए निलंबित……

रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के शीत सत्र में विपक्ष ने जंगल में पेड़ों की कटाई का मुद्दा उठाते हुए सरकार को जमकर घेरा. इस दौरान सदन में विपक्षी नेताओं ने हंगामा करते हुए सदन का कामकाज रोककर पेड़ों की कटाई पर चर्चा करने की मांग रखी. प्रस्ताव नामंजूर होने के बाद माहौल ऐसा गर्माया कि, विपक्ष के सदस्य गर्भगृह में आकर जमकर नारेबाजी करने लगे. जिसके बाद कांग्रेस के 32 सदस्यों को निलंबित कर दिया गया है.

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विपक्ष द्वारा लाए गए स्थगन को लेकर कहा कि अशासकीय संकल्प पारित किया गया था कि कोई खदान नहीं खुलेगा. इसके बावजूद भी ज्यादा से ज्यादा जंगल कांटे जा रहे हैं. सरगुजा से बस्तर तक सभी जगह कटाई जोरों पर है. इसके खिलाफ स्थगन लाया गया. मंत्री के द्वारा गलत जानकारी दी गई. गंभीर प्रश्न के उत्तर में बस्तर ओलंपिक की बात कर रहे हैं, गुरु घासीदास अभ्यारण की बात कर रहे हैं. गंभीर विषय को सरकार कितनी संवेदनशील दिखाई दे रहा है. इसके खिलाफ हम गर्भ गृह गए, और स्वयं निलंबित हुए.

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदूषण के कारण दिल्ली में फ्लाइट कैंसिल करना पड़ा है. छत्तीसगढ़ इस मामले में समृद्धशाली है, जिसे बिगाड़ने का काम किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ में सोलर व्यवस्था है, तो कोयला उत्खनन क्यों किया जा रहा है. मानव-हाथी द्वन्द अलग हो रहा है. छत्तीसगढ़ को केवल प्रदूषण मिल रहा है. पूरे छत्तीसगढ़ के लिए त्रासदी होने वाला है.

वन मंत्री ने दिया जवाब

वहीं विपक्ष के अभयारण्य क्षेत्र में खनन को लेकर उठाए गए सवाल पर वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि साय सरकार वन, वन्य जीव, आदिवासी, पर्यावरण-सभी के लिए संवेदनशील है, और इनके संरक्षण एवं संवर्धन के लिए तत्परता पूर्वक कार्यरत् है. बस्तर में नक्सलवाद पर निर्णायक चोट पहुचाते हुए सरकार ने बस्तर ओलंपिक का आयोजन किया है, जिसमें रिकार्ड 3 लाख से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया है.

राज्य शासन द्वारा गुरू घासीदास तमोर पिंगला टाईगर रिजर्व स्थापित किया गया है जो देश का तीसरा सबसे बड़ा टाईगर रिजर्व है. बिलासपुर के समीप कोपरा जलाशय को रामसर साईट घोषित किया गया है . यह प्रदेश की पहली रामसर साईट है. बेमेतरा जिला के गिधवा परसदा में पक्षी विहार की स्थापना की गयी है. हाथियों, बाघों तथा महत्वपूर्ण वन्यजीवों की संख्या में भी विगत 2 वर्षों में भी वृद्धि रिकार्ड की गई है.

फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून की रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में वन आवरण में 94.75 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है साथ ही वन क्षेत्रों के बाहर वृक्षों वाले क्षेत्र (Tree outside forest) में 702 वर्ग किमी. की वृद्धि हुई है जो देश में प्रथम स्थान पर है.

प्रदेश के वन क्षेत्र में विगत 2 वर्षो में वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम अंतर्गत कुल 05 खनन प्रकरण हेतु 1300.869 हे वन भूमि नियमानुसार व्यपवर्तित की गई है. यह सही नहीं है कि सरगुजा, हसदेव अरण्य कोल फील्ड, तमनार, बस्तर आदि क्षेत्र में फर्जी जनसुनवाई जन आंदोलन, लाठी चार्ज, धरना प्रदर्शन, चक्का जाम का नजारा देखने में आ रहा है.

राज्य सरकार द्वारा नियमों के अधीन भारत सरकार की स्वीकृति उपरांत ही वन भूमि व्यपवर्तित की गई है एवं व्यपवर्तन की शर्तों के तहत आवेदक संस्थान के आवेदन अनुसार न्यूनतम वृक्षों की कटाई की गई है. यहां यह उल्लेखनीय है कि वन भूमि व्यपवर्तन प्रकरणों में व्यपवर्तित वन भूमि के एवज में समतुल्य गैर वन भूमि अथवा दुगुने बिगड़े वन क्षेत्र में वैकल्पिक वृक्षारोपण किया जाता है.

विगत 02 वर्षों में व्यपवर्तित वन क्षेत्र के एवज में 1780.109 हेक्टेयर क्षेत्र में 1000 पौधे प्रति हे. के मान से 17,80,000 पौधे रोपित किये जायेंगे. इसके अतिरिक्त प्रत्येक प्रकरण में वन्यप्राणी संरक्षण योजना पृथक से तैयार की जाती है, जिसके तहत खनन से प्रभावित क्षेत्र के आसपास के वन क्षेत्रों में वन्यप्राणी संरक्षण हेतु कार्य किए जाते हैं.

यह भी सही नहीं है कि जिला रायगढ़ के तमनार क्षेत्र में वन भूमि तथा राजस्व भूमि पर बड़े पैमाने पर हरे भरे वृक्षों की कटाई की जा रही है. बल्कि सही यह है कि जिला रायगढ़ के तमनार क्षेत्र में वन (संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम अंतर्गत स्वीकृत 02 प्रकरणों में 6650 वृक्षों की कटाई नियमानुसार की गई है. रायगढ़ जिले में खनन के प्रकरणों में तमनार क्षेत्र में ग्रामसभा का आयोजन नियमानुसार किया गया है.

उन्होंने कहा कि तमनार क्षेत्र में स्वीकृत 02 प्रकरणों में 18 ग्रांव प्रभावित है जिसमें महाराष्ट्र स्टेट पॉवर जनरेशन कंपनी लिमिटेड को वन (संरक्षण एवं संवर्धन ) अधिनियम, 1980 अंतर्गत गारेपेलमा सेक्टर-2 कोल माईन्स हेतु कुल क्षेत्र 214.869 हे. वन भूमि व्यपवर्तन की स्वीकृति भारत सरकार द्वारा दिनांक 27.01.2023 को दी गई, वन भूमि व्यपवर्तन स्वीकृति के उपरांत नियमानुसार आवेदक संस्थान द्वारा आवेदन दिए जाने पर कुल 3684 नग वृक्षों के विदोहन की अनुमति प्रधान मुख्य वन संरक्षक (उत्पादन) 19 फरवरी 2025 को दी गई थी, जिसमें से सिर्फ 1124 वृक्षों की कटाई की गई है, तथा गारे पेलमा कोल ब्लाक 4/1 जेएसपीएल को स्वीकृत वन भूमि 91.179 हेक्टेयर में 5526 वृक्षों की कटाई हुई है.

मंत्री ने कहा कि यह सही नहीं है कि सरकार का यह कृत्य वन अधिकार अधिनियम (FRA) जन सुनवाई और राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के आदेशों का भी उल्लंघन है. कलेक्टर द्वारा एफ. आर. ए. अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त होने के पश्चात ही वन भूमि व्यपवर्तन की कार्यवाही की गई है, एवं नियमानुसार वृक्ष कटाई की अनुमति दी गई है.

विरोध करने वाले जन प्रतिनिधियों तथा ग्रामीणों पर पुलिस एवं उद्योगपत्तियों के नुमाइन्दों पर कोई भी बल पूर्वक अवैधानिक कार्यवाही नहीं की गयी है. यह सहीं नहीं है कि आज भी हजारों की तादाद में ग्रामीण सरकार के इस कृत्य के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं, बल्कि सही यह है कि मौके पर सम्पूर्ण कार्यवाही संबंधित विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में नियमों का पालन करते हुए किया गया.

उन्होंने कहा कि यह सही नहीं है कि छत्तीसगढ़ का फेफड़ा कहे जाने वाले हसदेव क्षेत्र को उजाड़ा जा रहा है. अब तक लाखों वृक्ष रिकार्ड पर तथा लाखों वृक्ष रिकार्ड के बाहर काट डाले गये हैं. यह सही नहीं है कि इस सरकार को वन पर्यावरण, जैवविविधता, जलवायु, वन्य प्राणी रहवास से कोई सरोकार नहीं है.

सही यह है कि हसदेव अरण्य कोल फील्ड के लिए NGT और उच्चतम न्यायालय के निर्णय अनुसार भारतीय वानिकी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (ICFRE) तथा भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के द्वारा सम्पूर्ण जैव विविधता का अध्ययन करके प्रस्तुत रिपोर्ट में परसा ईस्ट के बासेन एवं परसा कोल ब्लाक को विचार किया जा सकता है (Can be considered) की श्रेणी में रखा गया है.

वन मंत्री ने कहा कि यह सही नहीं है कि रिपोर्ट के प्रावधानों का उल्लंघन किया जाकर कार्यवाही की गयी है. यह सत्य नहीं है कि बस्तर के भानुप्रतापपुर में आरीडोंगरी क्षेत्र में अनेक ‘घने वृक्षों को काट दिया गया. बल्कि सही यह है कि वन ( संरक्षण एवं संवर्धन) अधिनियम अंतर्गत 138.960 हे. वन भूमि व्यपवर्तन गोदावी पावर एण्ड इस्पात के पक्ष में 2008 एवं 2015 में स्वीकृति पश्चात अधिनियम के निहित प्रावधानों एवं स्वीकृत माईनिंग प्लान अनुसार आवेदक संस्थान से प्राप्त आवेदन के आधार पर 28,922 वृक्ष नियमानुसार काटे गये हैं.

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