CG – बस्तर की नई दिशा : नक्सली समस्या के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर भी नकेल कसने का समय : अर्जुन हेमला, समाज सेवक

बस्तर की नई दिशा : नक्सली समस्या के साथ-साथ भ्रष्टाचार पर भी नकेल कसने का समय : अर्जुन हेमला, समाज सेवक
जगदलपुर। 31 मार्च 2026 को बस्तर संभाग नक्सली समस्या से मुक्त होने का ऐतिहासिक वादा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने किया है, और यह उन लाखों बस्तरवासियों और आदिवासियों के लिए राहत की खबर है, जो वर्षों से नक्सलवाद की आंतकवादी गतिविधियों के शिकार हो रहे हैं। यह एक स्वागत योग्य कदम है, लेकिन हमें यह भी समझना होगा कि यह सिर्फ आधा सफर है। बस्तर को पूरी तरह से विकास की ओर ले जाने के लिए और वहां के आदिवासियों का जीवन बेहतर बनाने के लिए, एक और नासूर समस्या का समाधान जरूरी है— *भ्रष्टाचार*।
भ्रष्टाचार : नक्सली समस्या से भी बड़ा संकट : अर्जुन हेमला समाज सेवक
नक्सलवाद और आतंकवाद की समस्या के साथ-साथ बस्तर में भ्रष्टाचार भी एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है। सरकारी योजनाओं और विकास परियोजनाओं के नाम पर बस्तर संभाग में जो सैकड़ों करोड़ रुपये भेजे जाते हैं, वह गरीब और जरूरतमंद आदिवासी परिवारों तक पहुंचने के बजाय, भ्रष्ट अफसरों और बिचौलियों की जेब में चले जाते हैं। यह स्थिति न केवल बस्तर के विकास की गति को धीमा कर रही है, बल्कि आदिवासियों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति को भी और खराब कर रही है।
प्रशासन और सरकारों का हस्तक्षेप जरूरी
अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देवसाय, छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री विजय शर्मा, और बस्तर पुत्र एवं छत्तीसगढ़ के वन मंत्री केदार कश्यप को इस भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए भी एक ठोस कदम उठाना चाहिए। साथ ही, उन्हें *इस पर एक निश्चित समय सीमा* निर्धारित करनी चाहिए—*तारीख, महीना और वर्ष*, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि बस्तर के लिए भेजी जाने वाली हर एक राशि का सही उपयोग हो और यह आदिवासियों तक पूरी तरह पहुंचे।
भ्रष्टाचार को नष्ट करना : सरकार की प्राथमिकता बननी चाहिए
जब तक भ्रष्टाचार पर कड़ा नियंत्रण नहीं लगाया जाता, तब तक बस्तर के आदिवासियों का उत्थान और बस्तर की असली प्रगति संभव नहीं है। इस गंभीर मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकारों को विशेष रूप से ध्यान देना होगा और *स्पष्ट समय सीमा तय करनी चाहिए*, ताकि बस्तर के आदिवासी समुदाय को उनके हक का मिल सके और वहां के प्रशासन की कार्यशैली को सुधारा जा सके। यह कदम नक्सली समस्या से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बस्तर के स्थायी विकास और आदिवासियों की खुशहाली के लिए एक मजबूत नींव रखेगा।
निष्कर्ष
यदि बस्तर में नक्सली समस्या को खत्म करने के बाद भ्रष्टाचार को भी समाप्त किया जाता है, तो यह छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी विजय होगी। इसलिए, राज्य और केंद्र सरकार से हम यह अपील करते हैं कि वे *भ्रष्टाचार को भी खत्म करने के लिए एक सशक्त और ठोस कदम उठाएं*। इस मुद्दे को हल किए बिना, बस्तर में असली बदलाव और विकास संभव नहीं हो सकता।
समय की मांग है कि बस्तर को केवल नक्सलियों से मुक्त नहीं किया जाए, बल्कि वहां की प्रशासनिक व्यवस्था को भी भ्रष्टाचार से मुक्त किया जाए, ताकि आदिवासी समाज का वास्तविक उत्थान हो सके।