CG – लाल आतंक को बड़ा झटका : टॉप नक्सली लीडर सहित 8 माओवादियों ने डाला हथियार, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्य में थे सक्रिय…..

बीजापुर। माओवादी संगठन को एक और बड़ा झटका लगा है। तेलंगाना स्टेट कमेटी के दो वरिष्ठ और प्रभावशाली नक्सली नेताओं सहित कुल 8 माओवादियों ने वारंगल पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। हालांकि पुलिस की औपचारिक पुष्टि अभी तक नहीं की गई है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वालों में सबसे बड़ा नाम है कोय्यादी संबय्या उर्फ आज़ाद, जो बीकेएसआर (BKSAR) डिवीजन कमेटी के सचिव के रूप में वर्षों से माओवादी संगठन की रणनीति, भर्ती और संचालन गतिविधियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे थे। आज़ाद का लंबे समय से गढ़ माना जाने वाला तेलंगाना-छत्तीसगढ़ सीमा क्षेत्र में उनकी पकड़ बेहद मजबूत थी। उनका सरेंडर माओवादी संगठन की दक्षिण जोनल टीम के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक नुकसान माना जा रहा है।
दूसरा बड़ा नाम है अब्बास नारायण उर्फ रमेश, जो माओवादी संगठन की तकनीकी टीम का प्रभारी था। रमेश का मुख्य काम था संचार तंत्र, विस्फोटक उपकरणों की तकनीक, और संगठन के आंतरिक नेटवर्क को तकनीकी सहायता प्रदान करना। वह रामागुंडम इलाके में लंबे समय से सक्रिय था और कई अभियानों में उसकी भूमिका रही थी।
आत्मसमर्पण के पीछे अंदरूनी कलह, नेतृत्व संघर्ष प्रमुख कारण
सूत्रों का दावा है कि माओवादी संगठन के भीतर पिछले कुछ महीनों से गंभीर अंदरूनी मतभेद चल रहे थे। आज़ाद और तेलंगाना स्टेट कमेटी के प्रमुख दामोदर के बीच बढ़ते टकराव ने संगठन को कमजोर किया। दोनों के बीच रणनीतिक दिशा, नेतृत्व शैली और संसाधनों के वितरण को लेकर विवाद काफी समय से जारी था, जिसके चलते कई निचले स्तर के कैडर भी असंतोष में थे।
सूत्र बताते हैं कि आज़ाद का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा था, जो दामोदर की स्थिति को चुनौती देता दिख रहा था। संगठन में इस शक्ति-संघर्ष का असर जमीनी स्तर पर भी दिखने लगा था। यही आंतरिक तनाव और बढ़ती पुलिस दबाव की स्थिति आत्मसमर्पण का बड़ा कारण माना जा रहा है।
यदि पुलिस द्वारा इसकी आधिकारिक पुष्टि की जाती है, तो यह आत्मसमर्पण तेलंगाना और छत्तीसगढ़ की सीमा पर सक्रिय माओवादी नेटवर्क के लिए बड़ा झटका साबित होगा। दोनों वरिष्ठ नेताओं के साथ छह अन्य कैडरों के आत्मसमर्पण से संगठन की तकनीकी क्षमता, स्थानीय नेतृत्व और जनाधार को बड़ा नुकसान पहुँचेगा।


