छत्तीसगढ़

CG – कलेक्टर कवर्धा व गरियाबंद को उभय पक्षों के डी.एन.ए. जांच के लिए पत्र भेजा गया…

कलेक्टर कवर्धा व गरियाबंद को उभय पक्षों के डी.एन.ए. जांच के लिए पत्र भेजा गया।

आयोग के निर्देश पर संविदाकर्मी का बकाया वेतन 45 हजार रू. अनावेदक देने को तैयार हुआ।

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्यगण लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया व ओजस्वी मंडावी ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 335 वी. एवं रायपुर जिले में 157 वी. जनसुनवाई की गई।

आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में अनावेदक (पति) इस बात से इंकार कर रहा है कि आवेदिका उसकी पत्नी है। तथा बेटे के पितृत्व से भी इंकार कर रहा है। आयोग ने कहा कि ऐसी दशा में आवेदिका उसके बेटे तथा अनावेदक का डी.एन.ए. जांच कराया जाना आवश्यक है। आयोग के द्वारा कलेक्टर को पत्र भेजकर डी.एन.ए. टेस्ट मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) गरियाबंद, छत्तीसगढ़ के फॉरेसिंक लैब द्वारा कराया जायेगा।

यह संपूर्ण प्रक्रिया पुलिस अधीक्षक गरियाबंद व पुलिस अधीक्षक कवर्धा द्वारा सम्मिलित रूप से कराये जाने का निर्णय आयोग द्वारा लिया गया है। दो माह के भीतर आयोग को डी.एन.ए. रिपोर्ट प्रेषित करेंगे। यह संपूर्ण प्रक्रिया पुलिस अधीक्षक गरियाबंद व पुलिस अधीक्षक कवर्धा द्वारा सम्मिलित रूप से कराये जाने का निर्णय आयोग द्वारा लिया गया है।

सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिकागणों ने बताया कि ग्राम पंचायत गढ़फुलझर के द्वारा जमीन आबंटित की गई थी. जिसमें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवेदिका अपना मकान बनाना स्वीकृत करा चुकी है, किंतु 4 वर्ष से अनावेदक उस पर रोक लगा रहा है और महत्वपूर्ण शासकीय योजना पर अडंगे डाल रहा है। आयोग के द्वारा समझाईश दिये जाने पर अनावेदक ने आवेदिकागणों को किसी तरह से दुबारा परेशान नहीं करने का आश्वासन दिया है। आयोग के द्वारा अनावेदक को समझाईश दिया गया कि यदि वह भविष्य में आवेदिकागणों के द्वारा कराये जा रहे निर्माण में व्यवधान डालते है तो उनके खिलाफ आवेदिकागण थाना- बसना में एफ आईआर दर्ज करा सकेंगी इसके साथ ही प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

अनावेदक आवेदिका के हक में किसी भी तरह से कोई दखलंदाजी नहीं करेंगे व किरायेदारों को भी नहीं धमकायेंगे। इस सहमति के आधार पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।

एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसने मातृत्व अवकाश का आवेदन दिया था और उसने 22/11/24 को एक पुत्र को जन्म दिया। नियमानुसार आवेदिका 180 दिन का मातृत्व अवकाश प्राप्त कर सकती थी. लेकिन महज 24 दिन का अवकाश ही स्वीकृत हुआ। अनावेदक ने बताया कि संविदा नियुक्ति 11 माह की अवधि के लिए किया जाता है दिनांक 03/01/25 को यह समाप्त हुआ, जिसके एक दिन बाद यह पुनः संविदा प्रारंभ कर दिया गया। लेकिन सर्विस ब्रेक के कारण नए करार में उसी संतान के लिए दुबारा मातृत्व अवकाश नहीं दिया जा सकता है।

आयोग ने दस्तावेज के आधार पर अपना विस्तृत जवाब प्रस्तुत करने को कहा जिस पर आज सुनवाई में बताया गया कि आवेदिका को मातृत्व अवकाश का मेल 29 जनवरी 2025 को भेजा गया था इससे स्पष्ट है कि आवेदिका की संविदा नियुक्ति की अवधि बढ़ाये जाने के बाद यह मेल भेजा गया।

ऐसी दशा में 05 जनवरी 2025 से नई कार्यावधि की 180 दिन का मातृत्व अवकाश दिया जा सकता था। अनावेदकगणों ने इस विषय पर विभागीय त्रुटि को सुधारने का प्रयास कर आवेदिका को पूर्व में दिये गये 24 दिन के मातृत्व अवकाश की राशि आवेदिका से जमा करवा कर जनवरी 2025 के बाद एक साथ 180 दिन का अवकाश दे सकते है या बकाया 156 दिन का मातृत्व अवकाश स्वीकृत कर सकते है। आयोग ने अनावेदकगणों से कहा कि माह के भीतर विभाग से की गई कार्यवाही से आयोग को अवगत करायेंगे, तब प्रकरण का अंतिम निराकरण किया जायेगा।

एक अन्य प्रकरण में उभय पक्षों को सुना गया आवेदिका संविदा कर्मचारी है जिसका 3 साल का सी.आर अनावेदक पक्ष ने रोक रखा है। अनावेदक पक्ष ने जवाब में बहोत सारे कारण का उल्लेख किया था। आज की सुनवाई के दौरान आवेदिका ने कहा कि वह अपना बकाया वेतन 45 हजार रूपये व अनुभव प्रमाण पत्र पाना चाहती है। अनावेदक ने इसे देने में आयोग के निर्देश का पालन करना स्वीकारा है। आयोग के द्वारा अनावेदक को यह समझाईश दिया गया कि इस माह जुलाई में बनने वाले वेतन बिल के साथ ही आवेदिका के 45 हजार रू. के भुगतान की प्रक्रिया पूर्ण करें व आयोग को इसकी प्रति प्रेषित करने पर प्रकरण समाप्त किया जायेगा।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि उसके पति की मृत्यु हो चकी है। आवेदिका के 2 बच्चे है। गुढ़ियारी में एक मकान है जिसमें 2 कमरे, 1 हॉल व 1 किचन है। आवेदिका दोनो बच्चों व सास-ससुर के साथ ही रहती थी। गुढियारी स्थित मकान के उपर चार कमरे किराये पर है जिससे 12 से 15 हजार किराया आवेदिका की सास रखती है और आवेदिका के पति का एक मकान सोनडोंगरी में है जिसका किराया लगभग 2 हजार रू. आता है।

आयोग ने आदेशित किया कि अनावेदक (सास) मकान के किराये का 4 हजार रू. प्रति माह व सोनडोंगरी के किराये का 2 हजार कुल मिलाकर 6 हजार रू. आवेदिका बहू को दे। आवेदिका के पति की मृत्यु के पश्चात् मिला 4 लाख रू. अनावेदकगणों ने अपने खाते में जमा करा लिया है जिसमें से 2 लाख रू ही बाकी है जिसे आवेदिका के बच्चों के नाम से फिक्स डिपॉजिट अनावेदकगणों द्वारा किया जायेगा, ताकि बच्चों के पढ़ाई व खर्च सुनिश्चित हो सके।योग द्वारा उभय पक्षों को समझाईश दिया कि गुढ़ियारी स्थिति मकान में आवेदिका व उसके बच्चे 1 कमरा व किचन तथा अनावेदकगण 1 हॉल व एक कमरे में रहेंगे साथ ही दोनो भविष्य में कोई झगडा व एक-दूसरे के काम में दखलंदाजी नहीं करेंगे। दोनो पक्षों के मध्य स्टाम्प में लिखा- पढ़ी की जायेगी व काउंसलर के द्वारा नियमित निगरानी की जावेगी।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि दोनो पक्षों ने आपसी राजीनामा से तलाक ले लिया है। किंतु अनावेदक आवेदिका को भरण-पोषण नहीं दे रहा है। तलाक की कॉपी आवेदिका ने संलग्न की जिसकी ऑर्डरशीट में यह उल्लेखित है कि भरण-पोषण का अधिकार आवेदिका के पास सुरक्षित है। आवेदिका को भरण-पोषण ना देना पड़े कहकर अनावेदक अपने आपको बेरोजगार बता रहा है। अनावेदक आवेदिका का स्त्रीधन देने के लिए तैयार नहीं है।

आयोग की समझाईश पर अनावेदक ने भरण-पोषण प्रति माह 2 हजार रू. देने की सहमति जतायी। वह प्रति माह की 10 तारीख तक आवेदिका के खाते में 2 हजार रू. लगातार तब तक देगा जब तक आवेदिका दूसरा विवाह नहीं कर लेती। यदि आवेदिका आजीवन विवाह नहीं करती है तो आजीवन भरण-पोषण की राशि अनावेदक आवेदिका को देगा साथ ही अनावेदक की आर्थिक स्थिति बदलने पर भरण-पोषण की राशि भी बदली जा सकती है। आयोग द्वारा प्रकरण की निगरानी की जावेगी, ताकि आवेदिका को नियमित भरण-पोषण राशि मिल सके।

एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि आवेदिका के पति की मृत्यु के बाद अनावेदक (देवर-देवरानी) आवेदिका को घर पर रहने नहीं दे रहे थे तथा घर पर खुद कब्जा कर लिया था। उभय पक्षों को सुना गया। आयोग की समझाईश पर अनावेदक पक्ष इस बात के लिये तैयार है कि आवेदिका अपने पति के नाम के मकान पर रह सकती है या उसे किराये में दे सकती है।

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