CG – बराबर आपको संकेत दिया जा रहा है और एक से एक अनहोनी घटनाएं होती चली जा रही हैं – बाबा उमाकान्त महाराज

बराबर आपको संकेत दिया जा रहा है और एक से एक अनहोनी घटनाएं होती चली जा रही हैं – बाबा उमाकान्त महाराज
जिस तरह चक्की में बीच की कील के किनारे वाले गेहूं बच जाते हैं, वैसे ही यह साधना शिविर कील है जो लोगों को पकड़ाया जा रहा है
उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने 14 जून, 2025 को 24 घंटे की घाट की साधना की शुरुआत करते हुए सतसंग में कहा कि आप सब सतसंगी, नामदानी यह कोशिश करो कि गुरु पूर्णिमा से पहले हमारे घर में, हमारे मोहल्ले में, हमारे गांव में, हमारे तहसील में, हमारे जिला में, हमारे प्रांत में; हमारे देश में जगह-जगह साधना शिविर लग जाए। अब आपका कोई परिवार का व्यक्ति, रिश्तेदार बाहर रहता है; विदेश में रहता है तो आप वहां भी लगवा सकते हो। किसी बड़े शहर में रहता है, गांव से दूसरी जगह कमाने के लिए चले गए हैं तो वहां भी लगवा सकते हो। क्योंकि अब इसकी जरूरत है।
बराबर आपको संकेत दिया जा रहा है और अनहोनी घटनाएं एक से एक होती चली जा रही हैं। अभी दो दिन पहले की खबर आपने सुनी होगा; हवाई जहाज उड़ते ही गिर गया और उसमें बहुत लोग मर गए। सिर्फ एक आदमी बचा, वह बच गया “साहब दया से”, उम्र के हिसाब से। घटना के हिसाब से उसको भी चला जाना चाहिए था लेकिन बच गया बाकी सब खत्म हो गए। मलबा एकदम जल, भुन के राख हो गया, कोई लाश पहचान में भी नहीं आ रही है। कह रहे हैं जब टेस्ट होगा तब पता चलेगा कि कौन सी लाश किसकी है। विदेशों की तरफ अगर देखो तो जगह-जगह पर आग लगी है, आग के गोले बरसते दिखाई पड़ रहे हैं। आपस में मनमुटाव, आपस में बैर-विरोध; जिससे विरोध है, विनाश के समय जो ऐसे लोग हैं कि जिनकी अपराधी प्रवृत्ति है वे सब एक होते चले जा रहे हैं। तो ये सब क्या है? यह सब संकेत है कि खराब समय आएगा।
खराब समय अगर आएगा तो बचत किसकी होगी ?
आपको बताया गया था कि “चलती चक्की देखकर हंसा कमाल ठठाय, कील सहारे जो रहे सो साबित बच जाय”। हाथ की चक्की को चलती हुई देख कबीर साहब रो पड़े, बोले देखो यह जितने भी गेंहू हैं दो पाटों के बीच पिसे चले जा रहे हैं। तो वह रो पड़े कि जब परिवर्तन होगा; कलयुग जाने लगेगा, सतयुग आने लगेगा तो दो पाटों के बीच में जो पड़ेंगे पिस जायेंगे। लेकिन उनका लड़का भी साधक था, उसने जब देखा तो वह हंस दिया और कहा देखो बाकी तो सब पिसे जा रहे हैं लेकिन वह जो बीच में एक आधार (कील) है, जिसके सहारे चक्की चलती है, उसके किनारे-किनारे जो गेहूं हैं वे सब बच जा रहे हैं। तो यह साधना शिविर कील है जो लोगों को पकड़ाया जा रहा है, कहा जा रहा है कि आप जितने भी नामदानी हो सब साधना में लग जाओ।