बिलासपुर। हाई कोर्ट ने बिलासपुर की दुष्कर्म पीड़िता गर्भवती युवती को गर्भपात की मंजूरी दे दी है। कोर्ट ने यह आदेश मेडिकल बोर्ड की विस्तृत रिपोर्ट के बाद जारी किया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से महज एक पेज पर साधारण मेडिकल रिपोर्ट प्रस्तुत की गई, जिस पर जस्टिस रवींद्र अग्रवाल ने कड़ी नाराजगी जताई और मेडिकल बोर्ड को तलब कर विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। जिसके बाद कोर्ट ने यह आदेश जारी किया है।
दरअलस, गुरुवार को जब इस मामले की सुनवाई शुरू हुई, तब कलेक्टर की तरफ से मेडिकल बोर्ड ने केवल एक पेज की ओपीडी पर्ची में रिपोर्ट प्रस्तुत की और बता दिया कि युवती का अबॉर्शन किया जा सकता है।
जस्टिस रवींद्र अग्रवाल ने मेडिकल बोर्ड को कोर्ट में तलब किया और कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट का कहना था कि शासन के गाइडलाइन के अनुसार युवती का मेडिकल परीक्षण होना था, जैसे ब्लड टेस्ट, एचआईवी टेस्ट और सोनोग्राफी जांच वगैरह भी किया जाना था। तब मेडिकल बोर्ड ने क्षमा मांगते हुए दोबारा रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा और सेकेंड हॉफ में विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया, जिसके बाद हाईकोर्ट ने शुक्रवार की सुबह 11 बजे युवती को जिला अस्पताल में उपस्थित होकर अबॉर्शन कराने के लिए निर्देशित किया है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से एडवोकेट आशीष तिवारी ने यह भी आग्रह किया कि युवती रेप पीड़िता है। लिहाजा, अबॉर्शन कराने से पहले उसका DNA परीक्षण भी कराया जाए, ताकि रेप के आरोपी को सजा दिलाई जा सके। इस पर हाईकोर्ट ने तारबाहर थाना प्रभारी को एसपी के माध्यम से DNA जांच कराने की प्रक्रिया पूरी कराने कहा है।