CG – शासकीय सेवा में रहते हुए बिना तलाक लिए दूसरा विवाह सेवा से निलंबन का पर्याप्त आधार है…

शासकीय सेवा में रहते हुए बिना तलाक लिए दूसरा विवाह सेवा से निलंबन का पर्याप्त आधार है।
जंजगीर कलेक्टर को 2 शासकीय सेवकों के निलंबन की अनुशंसा भेजेगा आयोग।
रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक, सदस्यगण मान. सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, सरला कोसरिया व मान. श्रीमती ओजस्वी मंडावी ने आज छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग के कार्यालय रायपुर में महिला उत्पीड़न से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की। आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक की अध्यक्षता में प्रदेश स्तर पर आज 317 वी. एवं रायपुर जिले में 155 वी. जनसुनवाई की गई।
आज की सुनवाई के दौरान एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) ने आवेदिका से बिना तलाक लिये दूसरा विवाह कर लिया है। अनावेदक वर्तमान में मुख्य नगर पालिका अधिकारी है। अनावेदक ने आयोग में स्वीकारा कि उसने आवेदिका से बगैर तलाक लिए दूसरी महिला से विवाह कर लिया है जिससे उसे दो बच्चे 16 वर्ष व 03 वर्ष है। आवेदिका और अनावेदक के 03 बच्चे है। तीनो बच्चों की उम्र पूछे जाने पर कहता है याद नही है। पहली पत्नी से तीनों बच्चों की उम्र 41 वर्ष, 40 वर्ष व 38 वर्ष है। तीनों बच्चों ने बताया कि अनावेदक 15 वर्षों से अलग रह रहा है और मां को कोई भरण-पोषण नही देता है। अनावेदक ने जिस दूसरी महिला से विवाह किया वह महिला अनावेदक के बच्चों की उम्र की महिला है। अनावेदक एक जिम्मेदार शासकीय कर्मचारी है और नगर पंचायत का मुख्य नगर पालिका अधिकारी है। शासकीय नियमों को भली-भांति जानने के बावजूद उसने अपनी पत्नी (आवेदिका) से बिना तलाक लिये दूसरी महिला से विवाह कर लिया है। अनावेदक अपनी पहली पत्नी को भरण-पोषण देने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी दशा में आयोग के द्वारा अनावेदक के विरूध्द शासकीय सेवा से निलंबन की अनुशंसा किया गया व अनावेदक के सर्विस रिकॉर्ड के संपूर्ण दस्तावेजों की जांच आवश्यक है। प्रकरण के अंतिम निराकरण तक अनावेदक के रिटार्यमेंट पश्चात् समस्त प्रक्रिया पर रोक लगाने की अनुशंसा आयोग द्वारा किया जायेगा व इस आशय का पत्र जिला कलेक्टर, जांजगीर को भेजा जायेगा।
इसी तरह एक अन्य प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) ने बिना तलाक लिए दूसरी महिला से चूड़ी प्रथा से विवाह कर लिया है, जिससे उसकी एक 7 वर्षीय पुत्री भी है। अनावेदक वर्तमान में सहायक शिक्षक (एल.बी) के रूप में पदस्थ है। शासकीय सेवा के नियमों को अनावेदक विधिवत् रूप से जानता है फिर भी अनावेदक ने दूसरी महिला से 2017 में विवाह किया है और अनावेदक का अपनी पहली पत्नी से अब तक वैधानिक रूप से तलाक नही हुआ है। अनावेदक के स्वीकारोक्ति के बाद प्रमाण की आवश्यकता नहीं है, शासकीय सेवा में होने के बाद भी सिविल सर्विस रूल्स का उल्लंघन कर अनावेदक ने अपनी सेवा से निलंबन का आधार पूर्ण कर लिया है।
इस आशय का पत्र भी आयोग की ओर से जिला कलेक्टर जांजगीर को भेजा जाएगा और इस बात की अनुशंसा किया जायेगा कि 15 दिवस के अंदर अनावेदक को तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए इस मामले की जांच कर आयोग में रिपोर्ट प्रस्तुत किया जाए, ताकि प्रकरण का निराकरण किया जा सके।
एक प्रकरण में आवेदिका ने पिछली सुनवाई में बताया था कि उसने अनावेदक पर कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न की शिकायत दर्ज करायी थी, जिस पर आंतरिक परिवाद समिति की रिपोर्ट अब तक अप्राप्त है। अनावेदक का कथन है कि उसे बाइज्जत बरी किया गया है। आवेदिका का कथन है कि उसे कॉलेज से निकाल दिया गया है। ऐसी दशा में कॉलेज के प्राचार्य को आयोग के द्वारा पत्र प्रेषित किया गया था कि वह आंतरिक परिवाद समिति की रिपोर्ट व अध्यक्ष को लेकर आयोग की आगामी सुनवाई में उपस्थित हो, आज की सुनवाई में आंतरिक परिवाद समिति की अध्यक्ष उपस्थित हुई, आयोग ने जांच के संबंध में रजिस्टर का अवलोकन किया। दोनो पक्षों को निर्देशित किया गया कि दोनो पक्ष अपने अपने लिखित तर्क व दस्तावेज प्रस्तुत करें, जिसके पश्चात् प्रकरण अंतिम सुनवाई में रखा जायेगा।