छत्तीसगढ़

CG – कोरबी तत्कालीन सरपंच व सचिव ने ग्राम विकास राशि मे कर डाले लाखों की गड़बड़ी माध्यमिक शाला में रनिंग वाटर स्थापना के वास्तविक खर्च से दोगुनी राशि निकाली पढ़े पूरी ख़बर

कोरबा//बड़े घोटालों पर तो अक्सर चर्चा होती है, लेकिन गांवों में ग्राम पंचायत स्तर पर होने वाले भ्रष्ट्राचार पर किसी का ध्यान नही जाता। जिसके कारण पंचायत स्तरीय योजनाओं में बड़ी संख्या में घोटाले होते है। जिनकी न तो जांच होती है और न ही जिम्मेदारों पर कार्रवाई होती है। जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक अंतर्गत कोरबी (सी) ग्राम पंचायत भी भ्रष्ट्राचार का गढ़ बन चुका है। जहां बड़े पैमाने पर सरकारी धन के दुरुपयोग के कई मामले सामने लाए गए है। लेकिन दुर्भाग्य कि पंचायत में हुए वित्तीय गड़बड़ी मामले पर संबंधित अधिकारी चुप्पी साधे बैठे है।

ग्राम पंचायत कोरबी (सी) के तत्कालीन सरपंच पुनिता कंवर और सचिव मेहरून निशा के मिलीभगत से किये गए सरकारी धन दुरुपयोग के कई मामले खबरों के माध्यम से सामने लाए गए। यहां पेयजल आपूर्ति व्यवस्था के नाम पर 15वें वित्त से 18.68 लाख खर्च बताया गया है। जिसमे से अधिकतर कार्य कागजों में हुआ है। नाली निर्माण इसके मरम्मत एवं प्रा.शा. के अतिरिक्त कक्ष मरम्मत के नाम पर 3.54 लाख की राशि मूलभूत और 15वें वित्त से निकाली गई है। जिसकी हकीकत यह है कि ग्राम में न तो कहीं नाली निर्माण हुआ है और न ही अतिरिक्त कक्ष आस्तित्व में है। मार्ग सुधार कार्य, प्रा.शा. व आंगनबाड़ी भवन मरम्मत, पंचायत भवन समतलीकरण, शासकीय भवन रंगाई- पोताई पर मूलभूत एवं 15वें वित्त से 2.38 लाख का आहरण है, पर स्थानीय ग्रामीणों को ये कार्य बीते 5 साल में देखने को नही मिले है। वहीं रनिंग वाटर स्थापना के नाम पर भी सरपंच सचिव ने जमकर मलाई छानी है। पंचायत भवन में रनिंग वाटर कार्य के नाम पर 15वें वित्त से 1 लाख 6 हजार 700 रुपए की राशि का आहरण वर्ष 2021 में किया गया है लेकिन आज तलक रनिंग वाटर स्थापना नही हुई है, यह राशि सीधे तत्कालीन सरपंच पुनिता कंवर व सचिव मेहरून निशा ने मिल बांटकर हजम कर लिया। वहीं माध्यमिक शाला अचानकपुर में रनिंग वाटर सिस्टम स्थापना के नाम पर रिचार्ज बाउचर 15/02/2022 की तिथि में 1 लाख 5 हजार 506 रुपए 15वें वित्त आयोग से निकाली गई है। इसकी वास्तविकता यह है कि स्कूल परिसर के पुराने हेंडपम्प में सबमर्सिबल पम्प व समीप शौचालय भवन के छत पर सिन्टेक्स स्थापित कराया गया है। जिसका सबमर्सिबल पंप कुछ माह चलने बाद खराब हो जाने से स्कूली बच्चे हाथ चलाकर हेंडपम्प का पानी पीते है। पंचायत की ओर से रनिंग वाटर का जो काम कराया गया है, उस कार्य की शासन द्वारा तय राशि 49 हजार है, जबकि सरपंच सचिव ने जो राशि निकाली है उसमें बोर खनन कार्य समाहित रहती है। ऐसे में बोर खनन कराए जाने का फर्जी बिल लगाकर कार्य से दोगुनी राशि निकाल शासन को चूना लगाया गया है। इस अनियमितता में सोचनीय बात यह है कि 50 हजार या इससे अधिक के कार्य मे मूल्यांकन कराए जाने का प्रावधान है, फिर 49 हजार के कार्य वाले योजना में 1 लाख से ऊपर की राशि के आहरण की प्रशासकीय अनुमति किस आधार पर दी गई। कोरबी पंचायत में हुए मनमाने भ्रष्ट्राचार में कहीं न कहीं संबंधित अधिकारियों की मिलीभगत भी परिलक्षित होती है। ग्राम के पेयजल व्यवस्था पर 18.68 लाख खर्च बताने के बाद ग्रामीणों के बर्तन सुलभ पेयजल से भरा न भरा हो लेकिन तत्कालीन सरपंच व सचिव और जनपद अधिकारियों की जेबें जरूर भर गई है। गांव के जागरूक लोगों ने सरपंच सचिव के तमाम कारनामे की शिकायत कलेक्टर से करने की बात कही है। जिसमे बीते 5 साल के कार्यों की निष्पक्ष जांच की मांग और राशि वसूली कर पंचायत खाते में समायोजन साथ ही घोटालेबाजों पर पंचायत राज अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई की मांग प्रमुख होगी।

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