छत्तीसगढ़

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माँ महामाया की नगरी – मारोगढ़

नया भारत डेस्क‌। छत्तीसगढ़ के 36 गढ़ों में से एक है मारोगढ़। यहाँ की पुण्य भूमि में विराजित है त्रिलोक सुंदरी आदिशक्ति जगजननी महामाया मैया। पौराणिक काल में यह नगरी राजा मानसिंह की राजधानी हुआ करती थी, उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण करवाया था। यहाँ के दीवारों पर आज भी पौराणिक कालीन चित्र देखे जा सकते हैं।

यह नगर रायपुर बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर नारायणपुर से मात्र 6 किमी अंदर स्थित है । नगर के हदय स्थल में ही मातारानी का विशाल मंदिर है। मंदिर में माता महामाया के साथ ही माता सरस्वती और माता लक्ष्मी भी निवास करती है। मैया का रुप इतना मनोहर है कि आँखें दर्शन करते थकती नहीं है।

यह मंदिर तीन और से किला से घिरा हुआ है और किला खाइयों से सुरक्षित हैं। मान्यता है कि कभी यह किला युद्ध का मैदान हुआ करता था। मंदिर के समीप ही माता शीतला की प्रतिमा विराजित हैं और एक बावली है, जिसका पानी का रंग लाल है और सभी मौसमों में यह बावली जाल से लबालब भरा रहता है,कभी सूखता नही है। नवरात्र में मंदिर की शोभा देखते ही बनती है, ऐसा लगता है मानो मातारानी में तीनो लोको की सारी आभा भर गई हो। यहाँ नवरात्रि में भक्तों के मनोकामना ज्योत प्रज्वलित किए जाते हैं । इस मंदिर को देखने लोग दूर दूर से आते हैं।

इस मंदिर में आने से मिर्गी के रोगी पूर्ण रूप से ठीक हो जाते हैं। मंदिर का सरंक्षण गोस्वामी परिवार करता है। मातारानी अत्यंत चमत्कारी है, इसका प्रत्यक्ष प्रमाण दर्शन के पश्चात होता है आत्मिक शांति के द्वारा।

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