CG – “मेरिन ड्राइव प्रकरण हाईकोर्ट पहुंचा: रायगढ़ नगर निगम की कार्रवाई पर लग सकती है रोक”…

“मेरिन ड्राइव प्रकरण हाईकोर्ट पहुंचा: रायगढ़ नगर निगम की कार्रवाई पर लग सकती है रोक”
रायगढ़। वार्ड 29 विवाद अपडेट: रायगढ़ के कयाघाट, जेलपारा और प्रगति नगर में प्रस्तावित मेरिन ड्राइव निर्माण के चलते सैकड़ों मकानों को तोड़ने की तैयारी पर अब छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की नजर पहुंच गई है। जानकारी के मुताबिक, इस प्रकरण को लेकर एक याचिका दायर की गई है, जिसमें नगर निगम की कार्रवाई को चुनौती दी गई है और इसे मानवाधिकारों, आवास के अधिकार और कानूनी प्रक्रिया के उल्लंघन के आधार पर रोकने की मांग की गई है।
क्या है पूरा मामला ?
नगर निगम रायगढ़ द्वारा वार्ड 29 क्षेत्र को “राष्ट्रीय गंदी बस्ती” घोषित करते हुए 12 जून तक घर खाली करने का नोटिस जारी किया गया था। निवासियों का आरोप है कि बिना किसी पूर्व सर्वेक्षण, वैकल्पिक पुनर्वास और जनसुनवाई के यह आदेश दिया गया। इस आदेश से दुखनी बाई भुईंहर की मौत और गंगा बाई बंजारे के मानसिक तनाव में बीमार होने जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं।
हाईकोर्ट में क्या माँगा गया है ?
याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया है कि :
नगर निगम की कार्रवाई पर अंतरिम रोक लगाई जाए
वास्तविक नदी सीमा की जांच करवाई जाए
वैकल्पिक पुनर्वास योजना के बिना किसी भी घर को न तोड़ा जाए
पूरे मामले की न्यायिक निगरानी में निष्पक्ष जांच करवाई जाए
जनहित और कानूनी बिंदु उजागर
याचिका में संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और सम्मानपूर्वक आवास का अधिकार), सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों और शहरी पुनर्विकास नीति का हवाला दिया गया है। यह तर्क भी रखा गया है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत कई लोगों को मकान स्वीकृत हुए थे, जिन्हें अब ‘अवैध’ कहकर तोड़ा जाना अन्यायपूर्ण है।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
मोहल्ले वासियों का कहना है कि उन्हें मेरिन ड्राइव निर्माण से कोई आपत्ति नहीं, लेकिन इसका निर्माण ऐसे किया जाए जिससे बेवजह लोगों के घर न टूटें। उनका आरोप है कि नगर निगम नदी की सीमा को मोहल्ले के अंदर तक बढ़ाकर पेश कर रहा है।
अब आगे क्या ?
हाईकोर्ट में सुनवाई की तारीख तय होने के बाद प्रशासन को अब अपनी कार्रवाई को कानूनी रूप से सही ठहराना होगा। यह मामला अब सिर्फ एक विकास परियोजना नहीं, बल्कि जनहित और संवैधानिक अधिकारों की परीक्षा बन गया है।