CG MISA Pension Bill: मीसा बंदियों की पेंशन का रास्ता साफ, छत्तीसगढ़ सरकार लाएगी विधेयक
CG MISA Pension Bill: रायपुर में मीसा बंदियों की पेंशन को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। साय सरकार मीसा बंदियों की पेंशन चालू करने के बाद अब इस पर कानून बनाने जा रही है।

CG MISA Pension Bill: रायपुर में मीसा बंदियों की पेंशन को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। साय सरकार मीसा बंदियों की पेंशन चालू करने के बाद अब इस पर कानून बनाने जा रही है। मीसा बंदियों की पेंशन पर सरकार अब विधेयक लाने जा रही है। छत्तीसगढ़ (CG MISA Pension Bill) के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बड़ा ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने विधानसभा के चालू सत्र में मीसा बंदियों की पेंशन के संबंध में विधेयक लाने का फैसला लिया है। साथ ही उन्होने ये भी फैसला लिया है कि विधेयक पारित होने पर पेंशन का नाम भी बदला जाएगा।
दरअसल, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय (CG MISA Pension Bill) ने मीसा बंदियों की पेंशन के संबंध में एक बड़ा ऐलान किया है। छत्तीसगढ़ सरकार मीसा बंदियों की पेंशन को लेकर नया कानून बनाने जा रही है। साय सरकार ने फैसला लिया है कि मीसाबंदियों की पेंशन पर विधानसभा के चालू सत्र में विधेयक लाया जाएगा।
विधेयक का नाम छत्तीसगढ़ लोकतंत्र सेनानी (CG MISA Pension Bill) सम्मान निधि लेने के फैसला लिया गया है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में कुल 300 से ज्यादा मीसा बंदी और उनकी विधवाएं हैं। 2008 में डॉ. रमन सिंह ने शुरू की थी सम्मान निधि। कांग्रेस सरकार ने 28 जनवरी 2019, में लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान निधि में रोक लगा दी थी।
इससे पहले भाजपा सरकार ने रोक हटाते हुए 7 मार्च 2024 को अधिसूचना जारी कर पेंशन बहाल करने का फैसला लिया था। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नाम पर इन्हें सम्मान निधि जारी करने बजट आबंटन का आदेश जारी किया गयी था।
कौन हैं मीसाबंदी?
कांग्रेस सरकार ने 25 जून 1975 की आधी रात को ऑर्डनेंस (CG MISA Pension Bill) के जरिए देशभर में आपातकाल लागू कर दिया गया था। इस दौरान संविधान में दिए गए सिविल राइट्स को भी निलंबित कर दिया गया था। (habeas corpus law) को समाप्त कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप गिरफ्तार व्यक्ति को 24 घंटे के भीतर अदालत में पेश करने का प्रावधान भी खत्म कर दिया गया था।
मीसा कानून के अंतर्गत जिस भी राज्य में कांग्रेस (CG MISA Pension Bill) की सरकार थी उन सभी में एक लाख से ज्यादा सत्ता विरोधियों को जेल में डाल दिया गया था। अविभाजित मध्यप्रदेश में भी उन दिनों कांग्रेस सरकार थी। मीसा का पूरा नाम मेंटनेन्स ऑफ इन्टरनल सिक्योरिटी एक्ट था। असल में इमरजेंसी के दौरान जिन लोगों की गिरफ्तारी हुई थी वे लोग अदालत में चैलेंज करने के लिए योग्य नहीं थे। इसलिए मीसा कानून के तहत बंदी बनाए गए लोगों को मीसाबंदी कहा जाता है।