CG News : छत्तीसगढ़ में नहीं बदलेगी पाठ्य पुस्तकों के प्रकाशन की व्यवस्था, कार्यकारिणी ने इस मॉडल को किया रिजेक्ट…..

रायपुर। छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम की 92वीं कार्यकारिणी बैठक में आगामी शैक्षणिक सत्र 2026-27 के लिए स्कूली बच्चों की पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन की वर्तमान प्रणाली को जारी रखने का निर्णय लिया गया। बिहार मॉडल के स्वरूप को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए निगम ने स्पष्ट किया कि छत्तीसगढ़ की मौजूदा व्यवस्था पारदर्शी, प्रभावी और भ्रष्टाचार-रोधी है, इसलिए इसी को लागू रखा जाएगा। बैठक में जीपीएस ट्रैकिंग, बारकोडिंग और यू-डाइस डेटा आधारित प्रकाशन जैसे कई महत्वपूर्ण फैसले भी लिए गए।
निगम अध्यक्ष राजा पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में स्कूल शिक्षा विभाग, जनजातीय विभाग, एससीईआरटी, वित्त विभाग और सरकारी प्रेस के प्रतिनिधि, समग्र शिक्षा के एमडी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे। इस बैठक का मुख्य एजेंडा था—क्या नए सत्र हेतु पाठ्यपुस्तक प्रकाशन प्रक्रिया में बदलाव किया जाए या नहीं।
दरअसल पिछले कुछ समय से यह चर्चा थी कि छत्तीसगढ़ में भी बिहार की तरह नई प्रकाशन प्रक्रिया लागू की जा सकती है, जिसके तहत प्रकाशक को ही कागज, मुद्रण और प्रकाशन की पूरी जिम्मेदारी दी जाती है। इसी संभावना को ध्यान में रखते हुए निगम की ओर से दो अलग-अलग टीमों को अध्ययन हेतु बिहार, गुजरात और एनसीईआरटी भेजा गया था।
अध्ययन में पाया गया कि बिहार में अपनाई जाने वाली प्रकाशन पद्धति में धांधली और गड़बड़ी की संभावनाएं अधिक रहती हैं। इस मॉडल में प्रिंटर-पब्लिशर द्वारा कम किताबें सप्लाई कर पूर्ण भुगतान लेने जैसी शिकायतें सामने आई थीं। इसके विपरीत, गुजरात मॉडल — जिसका अनुसरण छत्तीसगढ़ पहले से करता आ रहा है — अधिक पारदर्शी पाया गया। इस पद्धति में कागज की आपूर्ति और छपाई का ठेका अलग-अलग दिया जाता है, जिससे जांच और निगरानी की व्यवस्था मजबूत बनी रहती है।
बैठक में सदस्यों ने इस बात पर सहमति जताई कि छत्तीसगढ़ की मौजूदा प्रणाली विश्वसनीय, पारदर्शी और जवाबदेह है, इसलिए इसे ही जारी रखना उचित होगा। यह प्रक्रिया वर्षों से प्रभावी साबित हुई है और भ्रष्टाचार की संभावनाओं को काफी हद तक सीमित करती है।बैठक में प्रकाशन प्रक्रिया को और अधिक सुरक्षित और ट्रैक योग्य बनाने के लिए कई सुधारात्मक फैसले भी लिए गए।
मौजूदा प्रकाशन व्यवस्था यथावत जारी रहेगी
कागज परिवहन करने वाले वाहनों में अनिवार्य रूप से GPS लगाया जाएगा, ताकि ट्रक की वास्तविक लोकेशन और मूवमेंट ट्रैक की जा सके। पाठ्यपुस्तकों में बारकोड और स्कैनर सिस्टम लागू होगा, जिससे किसी भी तरह की अवैध बिक्री, दुरुपयोग या डुप्लीकेशन रोका जा सके। किताबों का प्रकाशन केवल UDICE में दर्ज विद्यार्थी संख्या के आधार पर ही किया जाएगा, जिससे पुस्तकों की बर्बादी और अधिक स्टॉक की समस्या खत्म हो।
निगम का दावा है कि इन कदमों से आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और सुरक्षा बढ़ेगी, साथ ही एक-एक किताब का हिसाब सिस्टम में दर्ज रहेगा।बैठक में यह भी चर्चा हुई कि भविष्य में आवश्यक हुआ तो चरणबद्ध तरीके से तकनीकी सुधार और कार्यप्रणाली में परिवर्तन किए जा सकते हैं, परंतु फिलहाल छत्तीसगढ़ की पुरानी प्रक्रिया ही सबसे बेहतर और पारदर्शी विकल्प है। निगम ने स्पष्ट संकेत दिया है कि पाठ्यपुस्तकों को लेकर राज्य किसी भी ऐसी व्यवस्था को लागू नहीं करेगा जिसमें भ्रष्टाचार या धोखाधड़ी की संभावना बढ़े।



