छत्तीसगढ़

CG Politics : पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा की गिरफ्तारी पर पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने जारी किया बयान, बोले – बदले की भावना से हुई गिरफ्तारी, ED कांग्रेस को बदनाम करने की रच रही साजिश…..

रायपुर। छत्तीसगढ़ शराब घोटाला केस में ED ने पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को गिरफ्तार कर लिया है। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भाजपा सरकार पर हमला बोला है। बघेल ने ट्वीट कर कहा है कि बदले की भावना से कार्रवाई की गई है। केंद्र सरकार में बैठे अपने आकाओं के इशारे पर ईडी कांग्रेस नेताओं को बदनाम करने की साजिश रच रही है। पूरी कांग्रेस पार्टी कवासी लखमा के साथ खड़ी है।

बता दें कि शराब घोटाला मामले में 28 दिसंबर को ED ने पूर्व मंत्री कवासी लखमा और उनके बेटे हरीश लखमा के ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की थी। छापेमार कार्रवाई में ED ने नगद लेनदेन के सबूत मिलने की जानकारी दी थी। इस मामले में आज तीसरी बार पूछताछ के बाद ईडी ने कवासी लखमा को गिरफ्तार किया है और उन्हें कोर्ट में पेश किया जा रहा है।

जानिए पूरा मामला

दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को आयकर विभाग ने पूर्व IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और सौम्या चौरसिया के खिलाफ याचिका दायर की थी। जिसमें बताया गया था कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है। महापौर ऐजाज ढेबर का भाई अनवर ढेबर का भाई अवैध वसूली के खेल में शामिल है। जिसके बाद ईडी ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA Act के तहत मामला दर्ज किया। अबतक मामले में 2161 करोड़ के घोटाले की बात का कोर्ट में पेश चार्जशीट में जिक्र किया है।

ईडी की चार्जशीट के अनुसार, साल 2017 में आबकारी नीति में संशोधन कर CSMCL के ज़रिये शराब बेचने का प्रावधान किया गया, लेकिन 2019 के बाद शराब घोटाले के किंगपिन अनवर ढेबर ने अरुणपति त्रिपाठी को CSMCL का MD नियुक्त कराया, उसके बाद अधिकारी, कारोबारी, राजनैतिक रसूख वाले लोगों के सिंडिकेट के ज़रिये भ्रष्टाचार किया गया, जिससे 2161 करोड़ का घोटाला हुआ। CSMCL के MD रहे अरुणपति त्रिपाठी मनपसंद डिस्टिलर की शराब को परमिट करते थे। देशी शराब के एक केस पर 75 रुपये कमीशन दिया जाना था, इस कमीशन की त्रिपाठी एक्सेलशीट तैयार कर अनवर ढेबर को भेजते थे। आरोप है कि अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने नकली होलोग्राम लगाकर अवैध तरीके से शराब की बेधड़क बिक्री की। इससे राज्य के राजस्व को बड़ा नुकसान हुआ। आपराधिक सिंडिकेट के जरिये CSMCL की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है।

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