CG – सरायपाली सरकारी नौकरी में दिलचस्पी कम निजी धंधों की ओर रुख कर रहे शिक्षक पर आरोप डूमरपाली का मामला जानें पढ़े पूरी ख़बर
महासमुंद//सरायपाली विकासखंड अंतर्गत शासकीय प्राथमिक शाला डुमरपाली में पदस्थ सहायक शिक्षक जितेंद्र साहू पर निजी ऑनलाइन मार्केटिंग करने का गंभीर आरोप लगा है। आरोप है कि शिक्षक सरकारी आदेशों की अनदेखी कर “ASR” नामक कंपनी के प्रचार-प्रसार और नेटवर्किंग कार्य में जुटे हुए हैं। इस मामले में स्थानीय नागरिक भूषण कुमार साहू ने विकासखंड शिक्षा अधिकारी को लिखित शिकायत सौंपी है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि शिक्षक साहू विद्यालयीय दायित्वों की उपेक्षा करते हुए निजी व्यवसायिक गतिविधियों में अधिक समय दे रहे हैं। उनके खिलाफ वीडियो और स्क्रीनशॉट जैसे साक्ष्य भी संलग्न किए गए हैं, जिनसे यह साबित होता है कि वे शासकीय सेवा में रहते हुए व्यावसायिक प्रचार-प्रसार कर रहे हैं।
शिक्षक का फर्ज और निजी धंधों की ओर झुकाव
शिकायत में स्पष्ट उल्लेख किया गया है कि शिक्षकों को बच्चों की शिक्षा पर ध्यान देना चाहिए, लेकिन कई मामलों में देखा जा रहा है कि अब शिक्षक अपनी सरकारी नौकरी से संतुष्ट नहीं हैं और निजी धंधों की ओर रुख कर रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकारी सेवा के बावजूद अतिरिक्त कमाई की चाह उन्हें ऐसे कामों की ओर धकेल रही है।
नियमों के अनुसार शासकीय कर्मचारी किसी भी प्रकार का व्यवसाय, व्यापार या निजी लाभ के लिए प्रचार-प्रसार नहीं कर सकते। ऐसे मामलों में अनुशासनात्मक कार्रवाई का प्रावधान है।
शिक्षा व्यवस्था पर असर
ग्रामीण अंचल के अभिभावकों का कहना है कि जब शिक्षक अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़कर निजी धंधों में लग जाते हैं, तो बच्चों की पढ़ाई सबसे अधिक प्रभावित होती है। बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती, समय पर कक्षाएं संचालित नहीं हो पातीं और परिणामस्वरूप शिक्षा का स्तर गिरने लगता है।
अभिभावक कहते हैं कि शिक्षक यदि पढ़ाई की बजाय ऑनलाइन मार्केटिंग और प्राइवेट धंधों में समय देंगे, तो बच्चों के भविष्य पर संकट आ जाएगा।
शासन के आदेशों की अनदेखी
राज्य शासन समय-समय पर शिक्षकों को यह निर्देश जारी करता है कि वे किसी भी प्रकार की व्यावसायिक गतिविधि से दूर रहें और पूरी निष्ठा से शैक्षणिक गतिविधियों में संलग्न हों। शिकायत में कहा गया है कि सहायक शिक्षक साहू इन आदेशों की खुली अवहेलना कर रहे हैं।
यदि आरोप सत्य पाए जाते हैं, तो यह न केवल शासकीय सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि शिक्षा विभाग की साख पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
जांच और कार्रवाई की मांग
शिकायतकर्ता भूषण कुमार साहू ने अपने पत्र में कहा है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और दोषी पाए जाने पर शिक्षक के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। साथ ही उन्होंने मांग की है कि जांच प्रक्रिया और कार्रवाई से उन्हें भी अवगत कराया जाए।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी से अपेक्षा की जा रही है कि वे इस मामले को गंभीरता से लेते हुए नियमों के अनुरूप कार्रवाई करेंगे।
समाज में उठ रहे सवाल
इस मामले के उजागर होने के बाद आम नागरिकों में यह चर्चा तेज हो गई है कि आखिर शिक्षक जैसे जिम्मेदार पद पर बैठे लोग भी निजी धंधों में क्यों उलझ रहे हैं। लोग कह रहे हैं कि यदि यही स्थिति रही तो शिक्षा व्यवस्था और अधिक चरमराएगी।
कुछ अभिभावकों का कहना है कि आज सरकारी शिक्षक स्थायी नौकरी और वेतन सुविधा के बावजूद संतोष नहीं कर पा रहे हैं और निजी कंपनियों में मार्केटिंग या अन्य धंधों की ओर आकर्षित हो रहे हैं। यह प्रवृत्ति शिक्षा और समाज दोनों के लिए खतरनाक है।
अब निगाहें विभाग पर
शिकायत पत्र 25 अगस्त 2025 को प्रस्तुत किया गया है। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस पर कितनी शीघ्रता और गंभीरता से कार्रवाई करता है। यदि समय रहते इस तरह की प्रवृत्ति पर अंकुश नहीं लगाया गया तो आने वाले समय में शिक्षा की गुणवत्ता और अधिक गिर सकती है।