छत्तीसगढ़

CG – कहानी सफलता की:कम शिक्षित बेरोजगार युवाओं के लिए मिशाल बना 10वीं पास राजेश नेटी यूट्यूब से सूअर पालन घर बैठे कर रहा 6 से 8 लाख की सालाना कमाई पढ़े पूरी ख़बर

कोरबा//कहते है अगर दिल मे कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो मंजिल आसान हो जाती है। कुछ ऐसा ही हुआ करतली के रहने वाले राजेश नेटी के साथ, जो आज कम पढ़े- लिखे और बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं के बीच मिशाल कायम कर रहा है। 10वीं पास राजेश सूअर पालन से आज घर बैठे 6 से 8 लाख सालाना कमा रहा है और इसी कमाई से एक बोलेरो व एक स्कार्पियों का मालिक है। राजेश कहता है कि कम पूंजी और कम मेहनत में पैसे कमाने का इससे बेहतर तरीका और कुछ नही हो सकता।

आज हम आपको जिले अंतर्गत पाली विकासखण्ड के ग्राम करतली में रहने वाले राजेश नेटी के सफलता के बारे में बताने जा रहे है, जो सूअर पालन करके सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहा है। दरअसल ग्राम करतली के मोहल्ला भदरापारा में रहने वाले राजेश बेहद गरीब परिवार से थे। पिता द्वारा पुश्तैनी 60 डिसमिल कृषि भूमि पर खेती और मेहनत मजदूरी करके किसी तरह परिवार का भरण पोषण करते थे। इस गरीबी की वजह से राजेश किसी तरह सरकारी स्कूल से 10वीं तक की पढ़ाई पूरी कर पाया। घर की आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण वह आगे की पढ़ाई नही कर सका। राजेश नेटी के मुताबित 10वीं की पढ़ाई के बाद साल 2020 में उसने उधार में रकम लेकर कुछेक गाय पालन कर दुग्ध उत्पादन का व्यवसाय प्रारंभ किया। वहीं साल 2022 में बकरी पालन को भी बढ़ावा दिया। एक दिन वह अपने मोबाइल यूट्यूब पर पशु पालन व्यवसाय की जानकारी ले रहा था। इस दौरान उसने कम लागत और देखरेख में सूअर पालन व इसके आय से संबंधित तकनीकों की जानकारी ली। जिसके बाद उसके भी मन मे सूअर पालन का विचार आया, तब उसने पशु चिकित्सा विभाग पाली के चिकित्साधिकारी डॉ. यू के तंवर से संपर्क साधा। जहां उसे विभागीय व्यक्तिगत मूलक योजनांतर्गत शासन की ओर से संचालित सूकर तरई इकाई पालन योजना के बारे में बताया गया। जिस प्रक्रिया के तहत पशुधन विकास विभाग की ओर से राजेश को 2 मादा व 1 नर सूअर प्रदान किया गया। इसके साथ ही उसे बैंक आफ बड़ौदा से 1.60 लाख का किसान क्रेडिट कार्ड के तहत ऋण भी उपलब्ध कराया गया, जिससे वह सूअर पालन का काम शुरू किया। देखते ही देखते जिसकी कमाई से वह आज लखपति बन गया है। राजेश नेटी बताते है कि इस व्यवसाय के कुछ महीने की कमाई से वह जशपुर एवं सूरजपुर से 10 मादा व 1 नर सूअर और ले आया, जो उसके आय में बढ़ोतरी कर गए। आज की स्थिति में राजेश के पास खुद का संचालित एक ग्राहक सेवा केंद्र के साथ एक बोलेरो व एक स्कार्पियो वाहन है। उसका कहना है कि सूअर पालन का व्यवसाय अन्य व्यवसाय की तुलना में काफी अच्छा है, क्योंकि इसमें लागत कम और मुनाफा अधिक होता है। सूअर साल में दो बार बच्चे को जन्म देती है, जो एक बार मे न्यूनतम 5- 6 व अधिकतम 22- 23 बच्चे का जन्म होता है और वे बच्चे 6 माह में 60 से 70 किलो तक बिक्री योग्य हो जाते है, जो 230 रुपए से लेकर 250 रुपए प्रति किलोग्राम तक बिकता है। जिससे वह सालाना 6 से 8 लाख रुपए तक कि घर बैठे कमाई आसानी से कर लेता है। जिस व्यवसाय ने उसके जीवन मे बदलाव ला दिया। सूअर रखरखाव और उसके चारे- पानी के बारे में पूछने पर राजेश ने बताया कि सूअर के खाने के लिए चूनी चोकर, मक्का की व्यवस्था करते है। सूअर में अमूमन बीमारियां कम आती है, फिर भी दस्त होने की शिकायत आती है। इसके अलावा मुह का रोग व फ्लू आता है। पर इससे बचाव के लिए समय- समय पर पशु विभाग के डॉक्टर आकर सूअर का टीकाकरण करते है। सूअर को स्वस्थ रखने के लिए इनके शेड की साफ- सफाई पर विशेष ध्यान देना होता है। राजेश ने आगे बताया कि सूअर की बिक्री के लिए उसे बाहर भी नही जाना पड़ता, उसके बाड़े से ही सूअर बिक जाते है और जिसे खरीदने राजनांदगांव, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर, अम्बिकापुर, बैकुंठपुर, जांजगीर- चांपा, रायगढ़ सहित अन्य जिले से लोग आते है। राजेश नेटी ने अपनी तरक्की में आर्थिक कमजोरी को बढ़ने नही दिया और स्वरोजगार शुरू कर एक नया मुकाम हासिल करने को लेकर ग्राम के युवा सरपंच ज्योतिष कुमार खुसरो का कहना है कि आज के कम शिक्षित और बेरोजगार युवा साथियों के लिए राजेश की सफलता और परिस्थिति प्रेरणादायक है। वर्तमान में अधिकतर युवा वर्ग कम पढ़े- लिखे होने के कारण किसी बड़े आयश्रोत वाले रोजगार की तलाश में फिरते रहते है, वे शासन की ऐसी सब्सिडी और कम लागत में अधिक आय वाली योजना को अपनाकर अपनी किस्मत बदल सकते है। वहीं इस व्यवसाय को लेकर पशु चिकित्साधिकारी पाली डॉ. यू के तंवर ने बताया कि राष्ट्रीय पशुधन मिशन के तहत सरकार सूअर पालन के लिए सब्सिडी दे रही है तथा यह एक आकर्षक और बेहद लाभदायक व्यवसाय बनता जा रहा है। छोटे निवेश और सूअर के मांस की बढ़ती मांग इस व्यवसाय को सफल बना रहा है। सूअर विभिन्न प्रकार के अनाज, दाने और यहां तक कि बचे हुए खाद्य पदार्थों (किचन वेस्ट) एवं मौसमी फलों को भी खा सकते है। जिससे उनके चारे की लागत कम होती है। लेकिन उनके लिए पर्याप्त जगह और संतुलित आहार देना स्वास्थ्य एवं विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसके अलावा उन्हें विभिन्न बीमारियों से बचाए रखने के लिए उचित स्वच्छता बनाए रखना व टीकाकरण कराना आवश्यक है। सूअर के मांस की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। ऐसे में आज के युवा वर्ग आधुनिक व वैज्ञानिक तकनीकों का उपयोग करके सूअर पालन व्यवसाय को और भी अधिक फायदेमंद बना सकते है।

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