छत्तीसगढ़

CG – स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय तोकापाल में समर कैंप की शानदार शुरुआत, मुख्य अतिथि सरपंच एवं अध्यक्ष उपसरपंच की उपस्थिति में किया गया…

समर कैंप की शानदार शुरुआत

तोकापाल। 21 विद्यार्थियों की उपस्थिति में समर कैंप की शानदार शुरुआत मुख्य अतिथि परपा तोकापाल सरपंच सोनमती भारती एवं अध्यक्ष उपसरपंच फूलमती सेठिया की उपस्थिति में किया गया। स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय तोकापाल में शासन से प्राप्त निर्देश के अनुसार 5 तारीख से 22 तारीख तक चलने वाले समर कैंप की शुरुआत उत्साह पूर्वक हुई।

संस्था के प्राचार्य विधु शेखर झा समर कैंप प्रभारी राजीव सिंह एवं सहयोगी मानसी बघेल ,ज्योत्सना कश्यप, रूमा निकहत ,स्नेहा श्रीवास्तव , नम्रता नाग,इंद्र राज सोनवानी, नीलम भास्कर एवं लता जोशी ने प्रथम दिवस के कार्यक्रम की तैयारी की थी।

प्रथम दिवस में शासन से प्राप्त निर्देश के अनुसार भारत, छत्तीसगढ़ एवं बस्तर के बारे में सामान्य जानकारी को विषय के रूप में लिया गया था। संबंधित शिक्षक शिक्षिकाओं ने विद्यार्थियों को खेल-खेल में सामान्य जानकारी से परिचित कराया।

इसके प्रदर्शन को देखकर मुख्य अतिथि सरपंच सोनमती भारती एवं उपसरपंच फूलमती सेठिया ने इस पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे समर कैंप में इतनी सारी जानकारी को सीख रहे हैं और इसका जवाब दे रहे हैं यह प्रसन्नता की बात है। शासन की योजनाओं का लाभ ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे भी ले रहे हैं यह देखकर खुशी हो रही है।

संस्था के प्राचार्य विधु शेखर झा ने बताया कि हम प्रतिदिन शासन से प्राप्त निर्देश के अनुसार खेल-खेल में जानकारी देने का प्रयास करेंगे जैसे- कल दिनांक 6 मई 2025 को शब्द विन्यास ,कविता पाठक एवं चित्र देखकर कविता बनाना आदि को बताया जाएगा। समर कैंप प्रभारी राजीव सिंह के नेतृत्व में इसकी तैयारी लता जोशी ,रूमा निकहत, सरिता यादव एवं रूपिंदर कौर कर रही हैं।

इस अवसर पर हम चाहते हैं कि अधिक से अधिक विद्यार्थी निर्धारित समय 8:30 बजे संस्था में पहुंचकर इस समर कैंप का लाभ लेवें।

इसके साथ ही इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संस्था की शिक्षक शिक्षिका एवं स्टाफ के रूप में स्वाति लवंग, अर्पणा सिंह, सरिता यादव, सोनाक्षी मजूमदार, प्रीति साइमन, काजल यादव ,पंकज मूर्ति , अपर्णा मिगलानी ,नीता शुक्ला ,तनय घोष, महेश सोनी ,लेसिना देवांगन ,जयदेव बघेल एवं कुंती मौर्य का महत्वपूर्ण योगदान था।

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