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CG – इस जनपद में 15वें वित्त पर चला गजब घोटाला: सीईओ व शाखा प्रभारी ने मिलकर बोगस बिल से निकाले लाखों रुपए पढ़े पूरी ख़बर

0 आखिर किसके इशारे पर और किसके लिए विकास की राशि का किया अनाधिकृत उपयोग.

कोरबा//ग्राम पंचायतों का केंद्र बिंदु कहे जाने वाले जनपद पंचायत में बैठे अधिकारी ही यदि भ्रष्ट्राचार में संलिप्त हो तो पंचायतों में होने वाले गड़बड़- घोटालों पर रोक लगाने की उम्मीद आखिर किससे की जाए…? जिले के पोड़ी उपरोड़ा जनपद पंचायत में ऐसा ही हो रहा है। यहां सरकार से विकास कार्यों के लिए मिलने वाले 15वें वित्त की राशि का आम निर्वाचन पंचायत चुनाव मतदाता सूची व अन्य प्रपत्रों की फोटोकॉपी व स्टेशनरी में व्यय बताकर बोगस बिल से लाखों रुपए का भुगतान कर दिया गया। अचरज की बात यह है कि जिन बिलों पर भुगतान दर्शाया गया है, दरअसल वे बिल बिना जीएसटी नंबर के है। बता दें कि विभागीय मद और निर्वाचन विभाग का अपना एक अलग मद होता है और नियमतः 15वें वित्त आयोग की अनुदान राशि को सीधे तौर पर स्टेशनरी के लिए खर्च करने की अनुमति नहीं है, क्योंकि यह मुख्य रूप से स्थानीय निकायों/ग्राम पंचायतों के लिए विभिन्न प्रकार के बुनियादी ढांचे, पानी और स्वच्छता, स्वास्थ्य और अन्य सामुदायिक कार्यों के लिए निर्धारित है।

कहीं व्यक्तिगत लाभ की मंशा को लेकर तो नही किया घोटाला?
पोड़ी जनपद पंचायत में पदस्थ सीईओ जयप्रकाश डड़सेना और शाखा प्रभारी लालदेव भगत (संकाय सदस्य) के द्वारा चौहान टेलीकॉम को लाखों रुपए का अनुचित लाभ पहुंचाने का खेल दिनाँक 30 अप्रैल 2025 सामान्य सभा की बैठक में अनुमोदन की आड़ में खेला गया है। जबकि कोरबा जिले में पंचायत चुनाव 17 फरवरी 2025 को सम्पन्न हुआ और इसके बाद पंचायत में कोई चुनाव नहीं होना था, फिर भी आम निर्वाचन पंचायत चुनाव 2025 हेतु मतदाता सूची एवं अन्य प्रपत्रों की छाया प्रति के नाम पर लाखों रुपए की फोटोकॉपी से बंदरबांट हुई है। वहीं चौहान टेलीकॉम से जुड़ी जो तथ्यात्मक जानकारी सामने आई है, उसके मुताबिक 24 मार्च 2025 को एक ही दिन में कुल आठ अलग-अलग बिल (बिना जीएसटी नम्बर) क्रमांक 181 से 193 तक जारी किए गए। 22 हजार से 25 हजार की संख्या में फोटोकॉपी का अलग- अलग राशि का बिल बनाया गया। सारे बिल 47 हजार से 50 हजार के बीच प्रति फोटोकापी 2 रुपये पेज की दर से कुल बिल 3 लाख 86 हजार 760 रुपये का जारी किया गया। 01 लाख 93 हजार 380 फोटोकॉपी में यह राशि खर्च की गई। सोचनीय बात यह है कि इसका भुगतान 15वें वित्त योजना की राशि से किया गया है।

निर्वाचन व्यय का अपना मद, फिर वित्त आयोग क्यों…?

बताया गया है कि पंचायत निर्वाचन के समय निर्वाचन के लिए आवश्यक सामग्री, स्टेशनरी, फोटोकॉपी आदि का क्रय किया गया था किंतु यह बात आश्चर्यजनक है कि जब 17 फरवरी 2025 को त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का मतदान और मतगणना संपन्न हो चुकी थी, तब चुनाव से पहले जिस समय फोटो कॉपी करवाया गया, स्टेशनरी क्रय किए गए तो उसी समय बिल क्यों नहीं लिया गया? 24 मार्च 2025 को एक साथ आठ बिल जारी करने की जरूरत क्यों पड़ गई जबकि एक ही दुकान से एक ही दिन में थोक में फोटोकॉपी कराई गई थी तो एक ही बिल में फोटोकॉपी की संख्या दर्ज कर एक साथ राशि का बिल क्यों नहीं लिया गया?

नेताओं की खुशामद या दुकानदार को लाभ पहुँचाने की मंशा?

दरअसल जनपद पंचायत के अधिकारियों और बाबू की मिलीभगत से चौहान टेलीकॉम को प्रायोजित लाभ पहुंचाने का काम यहां धड़ल्ले से किया जा रहा है। वहीं इलाके के एक बेबाक जनप्रतिनिधि की मानें तो क्षेत्र के कुछ नेताओं की खुशामद और उन पर खर्च करने के लिए इस तरह से अतिरिक्त राशि की व्यवस्था की जाती है, लेकिन यह गलत है। 10- 20 हजार की हेर- फेर समझ में आती है किंतु लाखों का नहीं….। ऐसे ही न जाने और कितने बिल के जरिए आर्थिक घोटाला किया जा चुका होगा? यदि इस तरह से लाखों रुपए फोटो कॉपी, स्टेशनरी पर खर्च किए जा रहे हैं और वह भी 15वें वित्त की राशि से, तो यह बेहद चिंताजनक है। देखना है कि मामले में संज्ञान किस हद तक लिया जाएगा….?

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