CG – ग्रामीण क्षेत्रों में पलाश के फुल से कभी खेला करते थे होली…

ग्रामीण क्षेत्रों में पलाश के फुल से कभी खेला करते थे होली
प्राचीन काल से चली आ रही थी परम्परा अब विलुप्त के कगार पर
होली के आगमन को संदेश दे रही पलाश के फूल
फरसगांव/विश्रामपुरी। कोंडागांव जिले के विकासखंड बड़ेराजपुर अंतर्गत आसपास के क्षेत्रों में इन दिनों होली की तैयारी चल रही है।
प्राचीन काल से चली आ रही परंपरा होली कभी पलाश(फरसा) के फुलों से होली खेली जा रही थी कुछ ऐसा ही सुन्दर नजारा देखने को मिला पिटीसपाल और पीड़ापाल जाने वाले मार्ग पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी होली की तैयारी जोर शोर से शुरू हरवेल, पीढ़ापाल, किबड़ा, डिहीपारा, तराईबेड़ा, धामनपुरी पिटीसपाल में भी तैयारी शुरू हो चूकी है।
पलाश के फूलों से होली का गुलाल: गांव वाले कहते हैं कि आज कल जो होली के रंग मिलते हैं वो केमिकल से बने होते हैं. पलाश के फूलों से जो रंग गांव में बनता है वो स्किन के लिए हेल्दी भी है और नुकसान भी नहीं करता. पलाश के फूलों की भरमार होने के चलते इससे रंगों को बनाना आसान होता है और ये महंगा भी नहीं पड़ता. पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने पर त्वचा भी सुरक्षित रहती है।