मध्यप्रदेश

CG – जो इस समय साधना करेंगे, खराब समय में गुरु महाराज उनकी रक्षा करेंगे – बाबा उमाकान्त महाराज

जो इस समय साधना करेंगे, खराब समय में गुरु महाराज उनकी रक्षा करेंगे – बाबा उमाकान्त महाराज

ऐसी जगहों पर पहले साधना शिविर लगाना है, जहां आफत आने की संभावना प्रबल है

उज्जैन। परम सन्त बाबा उमाकान्त महाराज ने उज्जैन आश्रम पर सतसंग सुनाते हुए बताया कि जैसे सन्त कबीर दास जी के पुत्र कमाल ने कहा था कि –

“चलती चक्की देखकर, हंसा कमाल ठठाय।
कील सहारे जो रहे, सो साबुत बच जाए।।”

चक्की के बीच में एक आधार होता है, लोहे की या लकड़ी की कील होती है, उसके किनारे-किनारे जो गेहूं के दाने होते हैं, वे नहीं पिसते हैं, वे बच जाते हैं और जो दाने कील से दूर होते हैं, वे पिस जाते हैं।

आगे आने वाली आफत का कारण पूर्णिमा के पहले इसी जून में बनेगा

जब आफत आती है, तब मां अपने छोटे बच्चे को, जिगर के टुकड़े को छोड़ देती है। जब सब लोग कहने लगते हैं कि निकलो, निकलो नहीं तो तुम भी जल जाओगी। जल्दी करो, जल्दी करो तो उठा पाती है बच्चे को? भागती है, जान पर आफत आने वाली है। अभी तो कारण बनेगा, जून में पूर्णिमा के पहले ही कारण बन जाएगा।

फिर उसके बाद देखना, गामागम, धमाधम आवाजें सुनाई पड़ेंगी, लपटें दिखाई पड़ेंगी। देखना अभी, शुरुआत हो जाएगी। जब ऐसे समय में विभीषण की कुटिया अगर बच सकती है, तो क्या आप लोग नहीं बच सकते हो? विभीषण को क्यों निकाल लिया उन्होंने? क्योंकि वह राम भगवान से प्रेम करते थे, वह आता जाता रहता था तो उन्होंने वहां से निकाल लिया।

जो होशियार होते हैं और दूसरों की बात को मान लेते हैं, उस जगह को छोड़कर किसी सुरक्षित जगहों पर चले जाते हैं, वो बच जाते हैं

जब युग बदलने का समय होता है और परिवर्तन होने को होता है, तो बहुत लोग मरते हैं। जब त्रेता गया तो बहुत विनाश हुआ, जन धन की हानि हुई। जब द्वापर युग खत्म हुआ तब बहुत विनाश हुआ। और अब ये कलयुग जब जाएगा, तो ये छोड़ेगा ? बहुत जन-धन की हानि होगी। अगर सब आदमी मर जाएं, तो ये सृष्टि कैसे चलेगी? इसलिए कुछ बच जाते हैं, कुछ भाग करके जान बचा लेते हैं। दूसरे देशों में चले जाते हैं, दूसरी सुरक्षित जगहों पर चले जाते हैं। तो वो बच जाते हैं। एक कहावत है कि –

“कहीं भागे मर्द तो कहीं मारे मर्द” यानी बहादुरी कर जाते हैं कि भागकर जान बचा लिया और दूसरे की भी जान बचा दिया, ये बहादुरी है तो वे बच जाते हैं।

जल्दी से जल्दी साधना शिविर शुरू कर दो

जो आप प्रांतों के जिम्मेदार, जिलों के जिम्मेदार, झोन के जिम्मेदार हो, उनसे यही कहना है कि आप जल्दी से जल्दी ये साधना शिविर शुरू करा दो। ये आपकी जिम्मेदारी बनती है। आपके बहुत से लोग बाहर यानी अपने-अपने घरों पर हैं। कुछ जगहें ऐसी होती हैं जहां ज़्यादा जरूरी होता है। तो उनको आप पहले कर लो। अगर साधना करने लग गए, गुरु की दया हो गई, धारा उतरने लग गई। तो वे अपनी भी रक्षा कर लेंगे, परिवार वालों की भी रक्षा कर लेंगे, दूसरों की भी रक्षा कर देंगे।

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